इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के सचिव प्रताप सिंह बघेल सहित 16 जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों और वित्त व लेखाधिकारियों के खिलाफ अवमानना का आरोप निर्मित कर सभी से एक माह में स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों न उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना के लिए दंडित किया जाए। कोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा व महानिदेशक बेसिक शिक्षा को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन सुनिश्चित कराने और कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सुदेश पाल मलिक सहित कई अन्य की दर्जनों अवमानना याचिकाओं की एकसाथ सुनवाई करते हुए गुरुवार को दिया।
कोर्ट ने इसी मामले में पिछली सुनवाई पर बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के सचिव प्रताप सिंह बघेल को इस बात का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था कि वह सालभर में कितने दिन प्रयागराज स्थित कार्यालय में बैठे हैं। मामले के तथ्यों के अनुसार कोर्ट सेवाकाल में मृत अध्यापकों की पत्नी या वारिसों को ब्याज सहित ग्रेच्युटी भुगतान करने का आदेश दिया था। इस मामले में राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट तक राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने भी चार माह में भुगतान करने और भुगतान नहीं कर पाने पर 18 प्रतिशत ब्याज सहित ग्रेच्युटी देने का निर्देश दिया। इसके बावजूद आदेश का पालन न करने पर दाखिल की गई अवमानना याचिकाओं पर कोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को सूबे के सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों के लिए गाइडलाइन जारी करने का आदेश दिया।
गाइडलाइन जारी की गई और उसके बाद ग्रेच्युटी का भुगतान हुआ लेकिन ब्याज नहीं दिया गया। कहा गया कि राज्य सरकार की अनुमति मांगी गई है। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि प्रदेश में कुल 1276 अध्यापकों को भुगतान किया जाना है। इनमें 355 अध्यापकों के मामले में आदेश का पालन किया जा चुका है। आदेश पालन के 921 मामले लंबित हैं।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश सभी अधिकारियों पर बाध्यकारी
कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सभी अधिकारियों पर बाध्यकारी है। आदेश का पालन करने के लिए अधीनस्थ संस्था के शासनादेश का इंतजार नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपील की सुनवाई जैसा व्यवहार नहीं कर सकती। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का वैधानिक दायित्व है कि जैसे ही किसी अध्यापक की मृत्यु की सूचना मिले, उसकी पत्नी या वारिसों को सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान सुनिश्चित कराएं।