लखनऊ। छात्रवृत्ति घोटाले में कॉलेजों ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के दिव्यांग विद्यार्थियों के नाम पर भी बड़ी रकम डकारी कॉलेजों ने कागजों पर हजारों दाखिले किए और करोड़ों की छात्रवृत्ति ली। वक्त आया तो इन कॉलेजों का कोई दिव्यांग विद्यार्थी (जिनके नाम पर वजीफा लिया गया) बोर्ड परीक्षा में शामिल नहीं हुआ। बोर्ड परीक्षा के आंकड़ों से घोटाले का खुलासा हुआ और ईडी की जांच पर मुहर लग गई। एसआईटी ने बोर्ड परीक्षाओ से संबंधित दस्तावेज को साक्ष्य के तौर पर जांच में शामिल किया है। इस खेल में हरदोई के तीन कॉलेजों की भूमिका रही।
राज्य सरकार के आदेश पर ईडी की जांच के आधार पर हजरतगंज पुलिस ने 30 मार्च को छात्रवृत्ति घोटाले में एफआईआर दर्ज की थी। अब तक की जांच में घोटाले की रकम दो सौ करोड़ रुपये पहुंच चुकी है। आंकड़ा और बढ़ सकता है। प्रकरण की जांच एसआईटी कर रही है। एफआईआर में हरदोई के आरपीपी इंटर कॉलेज, ज्ञानवती इंटर कॉलेज व जगदीश वर्मा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं। तफ्तीश में पता चला इन संस्थानों ने हाईस्कूल व इंटर में दिव्यांग विद्यार्थियों के नाम पर छात्रवृत्ति ली। बाकायदा प्रवेश फार्म भरे और ऑनलाइन आवेदन कर छात्रवृत्ति ली। हालांकि विद्यार्थी कोई सामने नहीं आया। एक तरह से डमी विद्यार्थी से ही पूरा खेल कर डाला। प्रति छात्र – छात्रा 40 हजार रुपये छात्रवृत्ति जारी की गई। यह खेल वर्ष 2015-2022 तक किया गया।
कॉलेजों ने स्वीकारा, नहीं है कोई दिव्यांग विद्यार्थी : सूत्रों के मुताबिक पिछले छह साल में हजारों दिव्यांग विद्यार्थियों के नाम पर छात्रवृत्ति हड़पने वाले तीनों कॉलेजों ने शिक्षा विभाग को खुद जवाब लिखकर भेजा कि उनके वहां कोई दिव्यांग विद्यार्थी नहीं है।