पिछले कुछ महीनों में लगातार महंगाई में गिरावट को देखते हुए आने वाले महीनों में कर्ज पर ब्याज दरों में कमी हो सकती है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस कारोबारी साल 2023-24 की चौथी तिमाही तक रिजर्व बैंक नीतिगत दरों यानि रेपो रेट में कमी कर सकता है। गौरतलब है कि छह से आठ जून तक आरबीआई की मौद्रिक समिति की समीक्षा बैठक होनी है।
आर्थिक मामलों का पूर्वानुमान लगाने वाली वैश्विक कंपनी ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स ने अनुमान लगाया है। उसके मुताबिक कई ऐसे कारक हैं, जिनके चलते आरबीआई अपने रुख को अधिक उदार कर सकता है।
हालांकि रिजर्व बैंक की तरफ से कोई भी फैसला लेने में मॉनसून का भी योगदान रहेगा। इस साल अल नीनो की आशंका को देखते हुए बारिश का सिलसिला असमान रहा और फसलें प्रभावित हुईं तो अर्थव्यवस्था में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है।
विशेषज्ञ जता चुके अनुमान
इससे पहले एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भी रेपो दर में कटौती का अनुमान जताया था। उसका मानना है कि महंगाई दर लगातार कमी आ रही है। ऐसे में नीतिगत दर में और वृद्धि की जरूरत सीमित रह गई है। वहीं, जापानी ब्रोकरेज नोमुरा ने कहा था कि जीडीपी दर 6.5 फीसदी रहने का रिजर्व बैंक का अनुमान ‘बहुत आशावादी है और अक्टूबर से ब्याज में कटौती शुरू हो सकती है।
आंकड़े दे रहे संकेत
ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स ने ये भी कहा है कि मिश्रित कारकों की वजह से रिजर्व बैंक अपने रुख में बदलाव ला सकता है। उसने कहा कि मौद्रिक नीति समिति सबसे पहले यह देखेगी कि मुद्रास्फीति उसके लक्ष्य के मध्य में स्थिर हो रही है। उसके बाद वह अपने रुख में बदलाव लाएगी। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के मुताबिक पीएमआई, जीएसटी संग्रह गतिविधियों में मजबूती दिखा रहे हैं।