सालों बाद होने जा रहे परिषदीय शिक्षकों के प्रमोशन से साढ़े छह हजार अध्यापक मात्र दो दिन के अंतर से वंचित रह जाएंगे।
बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने पहले 31 मार्च 2023 तक न्यूनतम पांच साल की सेवा पूरी कर रहे शिक्षकों की पदोन्नति के लिए वरिष्ठता सूची अपलोड करने के निर्देश दिए थे। एक मई को जारी आदेश में सचिव ने कटऑफ डेट बढ़ाते हुए 30 अप्रैल तक की वरिष्ठता सूची मांग ली है, जबकि 12460 सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित 51 जिले के लगभग 6512 अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक मई 2018 को नियुक्ति पत्र वितरित किया। इन शिक्षकों ने दो मई को कार्यभार ग्रहण किया।
इस प्रकार मात्र दो दिन के अंतराल से इन साढ़े छह हजार शिक्षकों का प्रमोशन नहीं हो पाएगा।
51 जिलों के अभ्यर्थियों को सीएम ने दी थी नियुक्ति
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 12460 सहायक अध्यापक भर्ती 15 दिसंबर 2016 को शुरू हुई थी। 16 मार्च 2017 को पहले चरण की काउंसिलिंग हुई लेकिन इस बीच सरकार बदल गई और नई सरकार ने समीक्षा के नाम पर 23 मार्च 2017 को भर्ती पर रोक लगा दी। 16 अप्रैल 2018 को मुख्यमंत्री ने यह भर्ती शुरू करने की अनुमति दी। 23 अप्रैल 2018 को फिर से सभी चयनित अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराई गई। लेकिन 18 अप्रैल 2018 को हाईकोर्ट ने 24 शून्य जनपद के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर रोक लगाने के कारण मुख्यमंत्री ने एक मई 2018 को 51 जिले के लगभग 6512 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र वितरित किया था। बचे हुए 5948 पद आज तक नहीं भरे जा सके हैं।
पांच साल से लड़ रहे छह हजार बेरोजगार
इस भर्ती में प्रदेश के 75 में से 24 जिलों में एक भी पद रिक्त नहीं था। इन 24 जिलों के अभ्यर्थियों को किसी भी एक अन्य जनपद में आवेदन करने की छूट थी, हालांकि जिन 51 जिलों में रिक्त पद थे वहां से बीटीसी करने वाले अभ्यर्थियों ने यह कहते हुए कोर्ट में याचिका कर दी कि भर्ती में उनको प्राथमिकता मिलनी चाहिए भले ही शून्य 24 जनपद के अभ्यर्थियों की मेरिट अधिक क्यों न हो। हाईकोर्ट ने 18 अप्रैल 2018 को शून्य जनपद के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर रोक लगा दी थी। यह मामला आज तक हाईकोर्ट में विचाराधीन है।