लखनऊ : मीरजापुर में हैरान कर देने वाला एक मामला सामने आया है। यहां वर्ष 1990 में मर चुकी शिक्षिका का बेटा बताकर मृतक आश्रित कोटे में नौकरी हासिल कर ली गई। मामला शासन की जानकारी में आया तो विजिलेंस जांच करवाई गई। आरोप सही पाए गए। इसके बाद वाराणसी विजिलेंस ने इस मामले में नौकरी हासिल करने वाले और उसके पिता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। विजिलेंस की जांच में तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी व लेखपाल की भी मिलीभगत सामने आई है लेकिन दोनों की ही मौत हो चुकी है इसलिए उन्हें नामजद नहीं किया गया है।
विजिलेंस की इंस्पेक्टर सुनीता सिंह की तरफ से यह एफआईआर दर्ज करवाई गई है। एफआईआर के मुताबिक शासन ने 28 जुलाई 2022 को इस मामले की जांच दी थी। आरोप था कि मीरजापुर के कतवारू निवासी कृष्णकांत ने फर्जी अभिलेखों के जरिए मृतक आश्रित कोटे में नौकरी हासिल कर ली। कृष्णकांत ने खुद को सुमित्रा देवी का बेटा दिखाकर नौकरी हासिल की थी। सुमित्रा देवी 22 मार्च 1976 को प्राथमिक
पाठशाला में सहायक अध्यापिका के पद पर नियुक्त हुई थीं। 16 दिसंबर 1990 को उनकी मौत हो गई। कृष्णकांत के पिता ने लेखपाल शेषमणि की मदद से तहसीलदार सदर के यहां से वारिस प्रमाण पत्र जारी करवा लिया जिसमें कृष्णकांत को सुमित्रा देवी का बेटा दिखाया गया। जबकि कृष्णकांत न तो सुमित्रा देवी का बेटा था न ही वारिस कृष्णकांत को सुमित्रा देवी की जगह नौकरी दिलवाने में तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी दयाशंकर सिंह की भी जांच में अहम भूमिका सामने आई है। विजिलेंस ने कृष्णकांत व उसके पिता नाथेराम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।