उच्च न्यायालय ने कहा है कि महिलाओं को शिक्षा के अधिकार और प्रजनन स्वायत्तता यानी मां बनने के अधिकार में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
न्यायालय ने दो वर्षीय मास्टर ऑफ एजुकेशन (एमईडी) की पढ़ाई कर रही महिला को राहत देते हुए यह टिप्पणी की। इसके साथ ही, न्यायालय ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता महिला को एमईडी पाठ्यक्रम की कक्षा में उपस्थिति में छूट देने के लिए मातृत्व अवकाश का लाभ देने से इनकार कर दिया गया था। जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने विश्वविद्यालय के प्रबंधन के 28 फरवरी, 2023 के आदेश को रद्द करते हुए, याचिकाकर्ता महिला को 59 दिन की मातृत्व अवकाश का लाभ देने को कहा है।
न्यायालय ने कहा, ‘संविधान ने एक समतावादी समाज की परिकल्पना की है, जहां नागरिक अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं और समाज के साथ-साथ राज्य भी उनके अधिकारों की अभिव्यक्ति की अनुमति देगा। निर्देश दिया कि वह महिला को 59 दिन के मातृत्व अवकाश का लाभ दे। लाभ देने के बाद कक्षा में उनकी उपस्थिति 80 फीसदी पूरी होती है तो उन्हें परीक्षा में शामिल होने दिया जाए।