प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल 2023 को मंजूरी दे दी गई है। इसे सरकार जल्द संसद में पेश करेगी। सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि इसके साथ ही साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड एक्ट 2008 को रद्द किया जाएगा।
नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरफ) की स्थापना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वकांक्षी योजनाओं में शामिल है। साल 2020 के स्वतंत्रता दिवस के अपने उद्बोधन में पीएम मोदी ने एनआरएफ की स्थापना का ऐलान किया था, जबकि इसे 2019-20 के केंद्रीय बजट में प्रस्तावित किया गया था, जिसके बाद ही सरकार ने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए थे।
नई शिक्षा नीति के तहत शोध को बढ़ावा नई शिक्षा नीति के तहत परिकल्पित स्वायत्त निकाय एनआरएफ का गठन किया जाना है। इस फाउंडेशन का कार्य भारत में उपयोगी शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देना, नए क्षेत्रों में रिसर्च, ‘अनुसंधान की गुणवत्ता’ फंडिंग और उपयोगी रिसर्च को उद्योगों से जोड़ने में मदद करना होगा। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का उद्देश्य भारत में रिसर्चर को फंड उपलब्ध कराना है।
50 हजार करोड़ खर्च होंगे विधेयक को संसद से मंजूरी मिलने के बाद पांच वर्षों (2023-28) में 50 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के अनुसार, देश में वैज्ञानिक अनुसंधान की उच्चस्तरीय रणनीतिक दिशा प्रदान करने के लिए एक शीर्ष निकाय एनआरएफ की स्थापना करेगा।
प्रधानमंत्री इसके बोर्ड के पदेन अध्यक्ष होंगे और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री व केंद्रीय शिक्षा मंत्री पदेन उपाध्यक्ष होंगे। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) एनआरएफ का प्रशासनिक विभाग होगा जो एक गवर्निंग बोर्ड द्वारा शासित होगा। इसमें विभिन्न विषयों के प्रख्यात शोधकर्ता और पेशेवर शामिल होंगे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक, 2023 संसद में पेश करने का निर्णय स्वागत योग्य है। इससे उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के लिए किए गए प्रयासों को गति मिलेगी।
– एम जगदीश कुमार, चेयरमैन, यूजीसी