: बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती चार वर्ष से ज्यादा समय से नहीं आने से युवाओं का मोह डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) प्रशिक्षण से भंग होने लगा है। यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों से डीएलएड प्रशिक्षण संस्थानों की सीटें नहीं भर रही हैं। स्थिति यह है कि प्रवेश कम मिलने या नहीं मिलने से कई संचालकों ने अपने प्रशिक्षण संस्थान की मान्यता लौटा दी है। इससे प्रदेश भर में डीएलएड की करीब 8750 सीटें घट गई हैं।
बेसिक शिक्षा परिषद से संचालित विद्यालयों के लिए वर्ष 2018 में 69000 शिक्षकों की भर्ती आई थी। इसके बाद से कोई भर्ती नहीं आई, जबकि इसके लिए आवश्यक अर्हता अर्जित करने के लिए छात्र-छात्राएं प्रति वर्ष डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इधर, बीएड प्रशिक्षितों को भी बेसिक शिक्षा परिषद की भर्ती में सम्मिलित होने का अवसर दिए जाने से उन्हें प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) भर्ती में पहले से ही मौका होने के साथ दोहरा लाभ मिलने लगा है। ऐसे में छात्र- छात्राओं का रुझान डीएलएड के बजाय बीएड की ओर बढ़ गया है।
अभ्यर्थी कम मिलने से दो दर्जन से ज्यादा डीएलएड प्रशिक्षण संस्थानों के प्रस्ताव पर उनकी मान्यता समाप्त की जा चुकी है। इस तरह प्रदेश के करीब तीन हजार प्रशिक्षण संस्थानों में 2,42, 100 से घटकर सीट 2,33,350 रह गई है। पिछले वर्ष डीएलएड में प्रवेश के लिए आवेदन लेने की तिथि बढ़ाए जाने के बाद भी आधे से ज्यादा सीटें खाली रह गई थीं। ऐसे में वर्ष 2023 में प्रवेश के लिए उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने आवेदन आमंत्रित किए हैं, लेकिन पिछले वर्ष की स्थिति को देखते हुए सीटों का भरा जाना किसी चुनौती से कम नहीं है