मुख्यमंत्री सूक्ष्म उद्यमी दुर्घटना बीमा योजना का लाभ 18 से 60 साल की आयु वालों को मिलेगा,पांच लाख रुपये तक दावा कर सकेंगे
लखनऊ, । राज्य सरकार ने गैर पंजीकृत छोटे उद्यमियों को मुख्यमंत्री सूक्ष्म उद्यमी दुर्घटना बीमा योजना का लाभ देने का फैसला किया है। इसके लिए 18 से 60 साल की आयु वाले पात्र होंगे। प्रदेश में 15 फीसदी उद्यमी पंजीकृत हैं और 85 फीसदी गैर पंजीकृत हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। इस योजना से अपरिहार्य परिस्थितियों में सूक्ष्म उद्यमियों को सहायता प्रदान की जा सकेगी। दुर्घटना में मृत्यु होने या अपंगता पर पांच लाख रुपये तक दावा किया जा सकेगा। उद्यम पोर्टल पर पंजीकरण की अनिवार्यता न होने कारण इनके आंकड़े औपचारिक रूप से उपलब्ध नहीं होते हैं। इससे इनके आर्थिक योगदान की वास्तविक जानकारी नहीं मिल पाती है और नीति निर्धारण में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसी के चलते योगी सरकार ने सूक्ष्म उद्यमियों को राहत देने का फैसला किया है।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि मुख्यमंत्री सूक्ष्म उद्यमी दुर्घटना बीमा योजना में सूक्ष्म श्रेणी के उद्यमियों द्वारा आवेदन किया जा सकता है। जीएसटी में जो पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें इसका लाभ मिलेगा। योजना के तहत दुर्घटना के चलते यदि किसी सूक्ष्म उद्यमी की मृत्यु होती है तो उसके परिजनों को पांच लाख रुपये तक की आर्थिक मदद दी जाएगी। आंशिक अपंगता पर सीएमओ द्वारा जारी विकलांगता प्रमाण पत्र के आधार पर यह पैसा दिया जाएगा।
एक माह में दावे का निस्तारण दुर्घटना होने की दशा में पीड़ित के परिवार द्वारा ऑनलाइन व्यवस्था में आवेदन करने के बाद समस्त प्रपत्रों की एक प्रति संबंधित जिले के उपायुक्त उद्योग को प्रस्तुत की जाएगी। रजिस्टर्ड सूक्ष्म उद्यमी की दुर्घटना होने की दशा में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार उपायुक्त उद्योग से क्लेम धनराशि की संस्तुति प्राप्त होने के बाद निदेशालय स्तर से उद्यमी के नामित वारिस को बीमा की धनराशि डीबीटी के माध्यम से अधिकतम एक माह में उपलब्ध करा दी जाएगी।
बरेली में पशुचिकित्सा पालीक्लीनिक बनेगा
लखनऊ। बरेली में पशु चिकित्सा पालीक्लीनिक की स्थापना की जाएगी। कैबिनेट में इस बाबत दुग्ध विकास, मत्स्य तथा पशुधन विभाग की ओर से लाए प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई।
प्रस्ताव के तहत बरेली जिले के गुरुगांवा मुस्तकिल परगना व तहसील-आंवला की खसरा संख्या 164 की 1, 8460 हेक्टेयर जमीन में से एक हजार हेक्टेयर जमीन जो कि राजस्व अभिलेखों में बेसिक शिक्षा के लिए स्कूल फार्म के तहत दर्ज है, को पशुधन विभाग के पक्ष में निशुल्क हस्तांतरित करने के प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया।
सेण्टर आफ एक्सीलेंस फार फ्रूट के लिए जमीन
लखनऊ। कैबिनेट ने ‘एकीकृत बागवानी विकास मिशन’ योजना के तहत केन्द्र सरकार द्वारा कौशाम्बी जिले के लिए स्वीकृत ‘इण्डो-इजराइल सेन्टर आफ एक्सीलेंस फार फ्रूट’ की स्थापना के लिए जमीन उपलब्ध करवा दी है।
कैबिनेट बैठक में ग्राम कोखराज, तहसील सिराथू कौशाम्बी में प्रदेश के कृषि विभाग के स्वामित्व की उपलब्ध कुल भूमि 11.573 हेक्टेयर में से मात्र नौ हेक्टेयर भूमि उद्यान विभाग के नाम निशुल्क हस्तांतरित कराने को स्वीकृति प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा के पद पर प्रतिनियुक्ति पर तैनात होंगे आईएएस
लखनऊ। महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के पद पर विकल्प के रूप में प्रतिनियुक्ति पर अब भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सचिव स्तर के अधिकारी तैनात किए जा सकेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी की दी गई।
प्रस्ताव में कहा गया है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को विभिन्न विभागों में कार्य करने का अनुभव रहता है। विभागों में सचिव तथा महानिदेशालयों विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के पद पर तैनात किया गया है। उ.प्र. चिकित्सा शिक्षा सेवा (तृतीय संशोधन) नियमावली-2023 प्राख्यापित की गई है। यूपी के राजकीय एलोपैथिक कालेजों में प्रधानाचार्य के 13 स्थाई पद हैं।
3000 न्यायिक अधिकारियों को वेतन वृद्धि का तोहफा
लखनऊ। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदेश में कार्यरत करीब 3000 न्यायिक अधिकारियों के वेतन वृद्धि करने का फैसला किया है। वेतन वृद्धि एक जनवरी 2016 से देय होगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई 2022 को राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की वेतन पुनरीक्षण संबंधी सुस्तुतियों को एक जनवरी 2016 से लागू करने व एरियर का भुगतान करने आदेश दिया था।
नियुक्ति विभाग ने इसके आधार पर कैबिनेट मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वेतन वृद्धि से हर माह 7.22 करोड़ रुपये का व्यय भार आएगा।