नई दिल्ली। देश की बेटियों के हर म पर परचम लहराने के बावजूद आज भी समाज में दोयम दर्जा बरकरार है। ज्यादातर लोग बेटियों को सरकारी स्कूल पढ़ते हैं। वहीं, बेटों के लिए उनकी पसंद अग्रेजी स्कूल है। यह खुलासा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के सभी 60 बोर्ड के वर्ष 2022 के नतीजों के अध्ययन में हुआ है। इसमें सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को शामिल किया गया था।
अध्ययन में बेटियों की शिक्षा पर खर्च न करने की सामाजिक कुरीति के बावजूद यह सकारात्मक पहलू भी सामने आया कि तमाम दिक्कतों के बाद भी 10वीं और 12वीं कक्षा में बेटियां उपस्थिति से लेकर पढ़ाई व परिणाम में बेटों से बहुत आगे है। अध्ययन में पता चला है कि सरकारी स्कूलों में 10वीं कक्षा में एक फीसदी
छात्रों की तुलना में बेटियों की संख्या 1.02 फीसदी है। जबकि रिजल्ट में लड़कों का प्रदर्शन 76.2 फीसदी है, तो बेटियों का 80 फीसदी सहायताप्राप्त स्कूलों में एक फीसदी लड़कों की तुलना में बेटियों की संख्या 0.89 फीसदी है। वहीं अंग्रेजी निजी स्कूलों में एक फीसदी लड़कों की तुलना में बेटियों की संख्या 0.87 फीसदी और परीक्षा में शामिल होने का आंकड़ा 0.88 फीसदी है। इसके बावजूद रिजल्ट में लड़कों का पास प्रतिशत 82.1 रहा, तो बेटियों का प्रदर्शन 86.1 फीसदी है।
बेटियों की पहली पसंद कला संकाय
11वीं से स्नातक तक बेटियों की पहली पसंद कला संकाय है जहां 35 फीसदी लड़के आ की पढ़ाई करते हैं, उसके मुकाबले बेटियों का 46 फीसदी है। 46 फीसदी लड़के विज्ञान लेते हैं तो 38 फीसदी बेटियां वहीं, 15 फीसदी लड़के व 14 फीसदी लड़क विषयों की पढ़ाई करना चाहती हैं।
12वीं कक्षा में बेटियों से अधिक भेदभाव
अध्ययन में 12वीं कक्षा में भेदभाव अधिक दिखा। सरकारी स्कूलों में एक फीसदी लड़कों की तुलना में बेटियों की संख्या 1.07 फीसदी है। जबकि रिजल्ट में लड़कों का 91.5 फीसदी सीटों का प्रदर्शन 87.2 फीसदी है। वहीं, निजी स्कूलों में रिजल्ट में लड़कों का 83.5% तो बेटियों का प्रदर्शन 90.1% है।