प्रतापगढ़। परिषदीय स्कूलों में शिक्षण कार्य में लापरवाही व शिक्षकों की मनमानी पर अब मूल्यांकन प्रकोष्ठ अंकुश लगाएगा। विभाग ने इस प्रकोष्ठ का गठन शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए किया है। यह प्रतिदिन कम से कम दस स्कूल का निरीक्षण करके शिक्षकों की उपस्थिति, शिक्षण कार्य समेत अन्य जानकारी विभाग को देगा।
बेसिक शिक्षा विभाग के जिले में संचालित 3264 परिषदीय स्कूलों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियां संचालित की जा रही हैं।
विभाग का मानना है कि अकादमिक गतिविधियों में शिक्षकों की शिथिलता से योजनाएं सफल नहीं हो पातीं। विभाग ने निपुण भारत का लक्ष्य पूरा करने के लिए स्कूलों का औचक ऑनलाइन निरीक्षण करने की योजना बनाई है, जिससे शैक्षिक कार्य का मूल्यांकन किया जा सके।
मूल्यांकन प्रकोष्ठ प्रतिदिन कम से कम दस स्कूल का निरीक्षण करेगा। वीडियो कॉल पर शिक्षकों की उपस्थिति, समय सारिणी के अनुसार कौन सा विषय पढ़ाया जा रहा है,संदर्शिका, शिक्षण योजना का पालन की स्थिति, टीएलएम प्रयोग की स्थिति, गणित व विज्ञान किट प्रयोग की स्थिति, निपुण भारत योजना की स्थिति व उपस्थिति छात्र की संख्या समेत निर्धारित 20 बिंदु की जांच कर रिपोर्ट देनी होगी.
हालांकि विशेषज्ञ इसे भी विभाग का एक नया टोटका ही मान रहे हैं। उनका कहना है कि जब ऑफलाइन निरीक्षण से कुछ नहीं होता तो ऑनलाइन का कोई विशेष फर्क नहीं पड़ेगा.
परिषदीय स्कूल में शैक्षिक स्तर बेहतर करने में मूल्याकंन प्रकोष्ठ सहायक साबित होगा। भौतिक निरीक्षण में सही तथ्य प्रकाश में नहीं आ पाते हैं। वीडियो कॉल के जरिए शिक्षकों की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित होगी तो समय सारिणी के अनुसार पठन-पाठन किया जाएगा। नियमित शिक्षण कार्य होने से बच्चों के बौद्धिक स्तर का विकास होगा।
भूपेंद्र सिंह, बीएसए