, नई दिल्ली: केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन अंतिम वेतन का 40-45 प्रतिशत तक रखने पर विचार कर रही है। कई राज्यों की तरफ से फिर से ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू करने की घोषणा के बाद केंद्र पर भी इसे अपनाने का दबाव पड़ने लगा है। गत अप्रैल माह में ओपीएस की समीक्षा के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में समिति की घोषणा की थी।
सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार फिर से ओपीएस को लागू नहीं करेगी, लेकिन अंतिम वेतन का अधिकतम 45 प्रतिशत तक न्यूनतम पेंशन के रूप में निर्धारण कर सकती है। ओपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत है। 2004 से ओपीएस को समाप्त कर नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) को लागू कर दिया गया, जिसके तहत पेंशन फंड में कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 10 प्रतिशत तो सरकार 14 प्रतिशत का योगदान देती है। एनपीएस की राशि को बाजार में निवेश किया जाता है और उसके रिटर्न के आधार पर कर्मचारी की पेंशन राशि निर्भर करती है।
सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ऐसा रास्ता अपनाना चाहता है, जिसके तहत पेंशन का भार सरकार पर कम से कम पड़े। इसलिए यह अंतिम वेतन का 40 प्रतिशत भी हो सकता है। लेकिन उसे महंगाई भत्ते से लिंक नहीं किया जाएगा, जबकि ओपीएस महंगाई भत्ते से जुड़ा हुआ है।