सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव को गंभीर मुद्दा बताया। कोर्ट ने इसे खत्म करने और एससी/एसटी समुदाय के छात्रों के लिए उचित वातावरण तैयार करने को दिशा-निर्देश बनाने की मांग पर यूजीसी से जवाब मांगा है। शीर्ष कोर्ट ने यूजीसी से यह बताने को कहा कि शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव खत्म करने को उसने क्या कदम उठाए हैं।
अब तक क्या कदम उठाए हैं? जस्टिस ए.एस. बोप्पना और एम.एम. सुंदरेश की पीठ ने यह आदेश रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला और पायल तड़वी की मां आबेदा सलीम तड़वी ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है। जस्टिस बोपन्ना ने कहा कि अंतत यह छात्रों और उन अभिभावकों के हित में है जिनके बच्चों ने अपनी जान गंवाई है। भविष्य में ऐसा न हो, इसका कम से कम कुछ तो ख्याल रखना ही होगा।’ सुनवाई के दौरान जस्टिस सुंदरेश ने भी यूजीसी से यह बताने को कहा कि शिक्षण संस्थानों में इस बारे में अब तक क्या कदम उठाए हैं और आगे इस बारे में क्या करने का प्रस्ताव है।
इसे परामर्शात्मक तरीके से किया जाए याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने पीठ से कहा कि यह बेहतर होगा यदि इसे परामर्शात्मक तरीके से किया जाए। यूजीसी को बताएं कि यह एक संवेदनशील मामला है।