प्रयागराज। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का मानसिक स्तर महंगे कॉन्वेंट स्कूलों के छात्र-छात्राओं से कम नहीं है। मनोविज्ञानशाला प्रयागराज की ओर से प्रदेश के 11 मंडलों के परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा चार से आठ तक के 1826 विद्यार्थियों पर कराए गए अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है।
अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार 61 प्रतिशत विद्यार्थियों का मानसिक स्तर औसत से अधिक से लेकर उच्चतम स्तर तक का मिला है। मात्र 19.5 फीसदी बच्चे ही औसत मानसिक योग्यता के मिले हैं। कमजोर या औसत से कम मानसिक स्तर के बच्चों की संख्या केवल 19.5 प्रतिशत है। अध्ययन में प्रयागराज, मेरठ, अयोध्या, आगरा, गोरखपुर, बरेली, लखनऊ, वाराणसी, मुरादाबाद, झांसी और कानपुर मंडल के बच्चों को शामिल किया गया। मनोविज्ञानशाला के विशेषज्ञों ने 962 ग्रामीण और 864 शहरी क्षेत्र के बच्चों की मानसिक योग्यता का परीक्षण किया। बहुविकल्पीय प्रकार के प्रश्नों के आधार पर 913 छात्र और 913 छात्राओं की मानसिक योग्यता का मूल्यांकन किया गया।
परिषदीय बच्चों का मानसिक स्तर
स्तर बच्चों की संख्या प्रतिशत
औसत से कम 353 19.5
औसत 353 19.5
औसत से अधिक 375 20.7
उच्च 337 18.6
उच्चतम 395 21.8
इन बिन्दुओं पर जांचा
● सादृश्य
● वर्गीकरण
● संख्या श्रृंखला
● तार्किक समस्याएं
● विसंगतियां
व्यस्त जीवनशैली से बच्चों के लिए निकालें समय
अध्ययन में 1826 अभिभावकों और 457 शिक्षकों को भी शामिल किया गया है। मनोविज्ञानशाला की निदेशक डॉ. ऊषा चन्द्रा ने बताया कि बच्चों के मानसिक विकास में माता-पिता की सहभागिता और शिक्षकों की योग्यता अहम भूमिका अदा करती है। जिन बच्चों के साथ माता-पिता की भागीदारी अधिक थी उनमें औसत से अधिक या उच्च मानसिक स्तर मिला। माता-पिता बच्चों के लिए प्रथम पाठशाला होते हैं और बच्चे तुलनात्मक रूप से सबसे अधिक समय अपने माता-पिता के साथ ही व्यतीत करते हैं।