छह साल में सिर्फ दो कदम चली सीबीआई
छह साल में सिर्फ दो कदम चली सीबीआई
चयनितों को ज्वाइन कराना चुनौती
प्रयागराज। अवमानना में फंसे उच्च शिक्षा विभाग के लिए पुनर्मूल्यांकन में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर चयनित अभ्यर्थियों को ज्वाइन कराना बड़ी चुनौती है। रिक्त पदों पर पूर्व में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिल चुकी है और पद खाली नहीं हैं, जबकि हाईकोर्ट ने पुनर्मूल्यांकन में चयनित अभ्यर्थियों को ज्वाइन कराने का आदेश दिया है। उच्च शिक्षा निदेशालय अब सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की तैयारी में है। विज्ञापन संख्या-50 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती की गई थी। मूल्यांकन में गड़बड़ी की शिकायत पर उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने पांच विषयों की कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन कराया, जिसमें 18 नए अभ्यर्थी चयनित घोषित किए गए थे। इससे पूर्व जो अभ्यर्थी चयनित हुए थे, उन्हें तब तक नियुक्ति मिल चुकी थी।
खास-खास
● 1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2016 तक की भर्तियों की जांच कर रही सीबीआई
● 31 दिसंबर 2017 को पहली बार जांच के लिए आयोग पहुंची थी केंद्रीय एजेंसी
● 598 भर्तियों में शामिल विभिन्न प्रकार के लगभग 40 हजार पदों की चल रही जांच
● पीसीएस 2015 और एपीएस 2010 भर्ती में एफआईआर दर्ज हुई है
जुलाई 2017 को सीएम ने सदन में की थी जांच कराने की घोषणा
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आयोग में भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई अत्यंत धीमी गति से काम कर रही है। यदि मेरे द्वारा दिए गए साक्ष्य की ही सीबीआई जांच कर ले तो हजारों आरोपी गिरफ्तार हो सकते है। अब अंतिम उम्मीद न्यायपालिका से है।
अवनीश पांडेय, अध्यक्ष प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति
● सीबीआई जांच की घोषणा को छह साल पूरे, अब तक हुई सिर्फ दो एफआईआर
प्रयागराज, प्रमुख संवाददाता। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की 2012 से 2016 तक की भर्तियों में भ्रष्टाचार की जांच कर रही सीबीआई छह साल में महज दो कदम आगे बढ़ सकी है। 2017 में पहली बार सरकार बनने के चार महीने के अंदर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रतियोगी छात्रों की मांग पर 19 जुलाई 2017 को विधान सभा में सपा शासनकाल के दौरान हुई लोक सेवा आयोग की भर्तियों की सीबीआई जांच कराने की घोषणा की थी। इसके बाद राज्य सरकार ने 31 जुलाई 2017 को केंद्र सरकार से सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। 21 नवंबर 2017 को केंद्र सरकार के कार्मिक व पेंशन मंत्रालय की ओर से सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी की गई थी।
जांच मिलने के एक साल के अंदर पांच मई 2018 को पीसीएस 2015 परीक्षा में अनियमितता को लेकर पहली एफआईआर सीबीआई के दिल्ली मुख्यालय में दर्ज की गई थी। इसमें पीसीएस 2015 परीक्षा की कई अनियमितताओं का उल्लेख किया गया था। इसके तीन साल बाद छह अगस्त 2021 को अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती 2010 में धांधली पर यूपीपीएससी के पूर्व परीक्षा नियंत्रक और पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन विशेष सचिव आईएएस प्रभुनाथ के खिलाफ सीबीआई ने दिल्ली में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, साजिश के तहत ठगी और फर्जीवाड़ा की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। प्रभुनाथ के अलावा इस खेल में शामिल आयोग के दो अज्ञात अधिकारियों और अन्य अज्ञात बाहरी लोगों को भी आरोपी बनाया गया था। हालांकि बीते छह सालों में प्रतियोगी छात्रों को निराशा ही हाथ लगी है। सीबीआई ने आज तक किसी आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र नहीं दाखिल किया है। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि इसकी एक वजह शासन तथा आयोग से अभियोजन की स्वीकृत नहीं होना भी है।