इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (ITD) फर्जी मकान किराया स्लिप को कई तरीकों से पकड़ सकता है. इनमें शामिल हैं:
- मकान मालिक और किराएदार के बीच संपत्ति के पते का मिलान करना.
- किराए की राशि का मिलान करना.
- मकान मालिक और किराएदार के बैंक खातों का मिलान करना.
- मकान मालिक और किराएदार के इनकम टैक्स रिटर्न का मिलान करना.
यदि ITD को लगता है कि कोई करदाता फर्जी मकान किराया स्लिप का दावा कर रहा है, तो वह करदाता को नोटिस भेज सकता है. नोटिस में करदाता को फर्जी स्लिप को वापस करने या जुर्माना भरने के लिए कहा जा सकता है. यदि करदाता नोटिस का पालन नहीं करता है, तो उसे दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें जेल भी शामिल है.
यदि आप फर्जी मकान किराया स्लिप का दावा करने के लिए नोटिस प्राप्त करते हैं, तो आपको तुरंत एक कर सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए. एक कर सलाहकार आपको नोटिस का जवाब देने और अपने अधिकारों की रक्षा करने में मदद कर सकता है.
यहां कुछ युक्तियां दी गई हैं जो आपको फर्जी मकान किराया स्लिप का दावा करने से बचाने में मदद कर सकती हैं:
- केवल ऐसे मकान मालिक से किराया लें जो आपको एक वैध रेंट स्लिप प्रदान कर सके.
रेंट स्लिप को ध्यान से जांचें और सुनिश्चित करें कि इसमें सभी आवश्यक जानकारी शामिल है.
- रेंट स्लिप को सुरक्षित रखें और किसी भी संदेह के मामले में इसका उपयोग करें.
फर्जी मकान किराया स्लिप का दावा करना एक गंभीर अपराध है. यदि आप पकड़े जाते हैं, तो आपको गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. इसलिए, फर्जी मकान किराया स्लिप का दावा करने से बचना ही सबसे अच्छा है.
चलिए इसके बारे में विस्तार से पढ़ते हैं
फर्जी रेंट स्लिप लगाकर पैसा बचाने की जुगत करदाता को भारी पड़ सकती है. आयकर विभाग अब इस पर सख्ती से कार्रवाई कर रहा है. दिल्ली के रहने वाले संजय कुमार ने अपने एम्प्लॉयर की तरफ से फॉर्म-16 मिलते ही अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भर दिया. अब बस उन्हें जल्द से जल्द रिफंड का इंतजार था कि तभी एक बुरी खबर आ गई. खबरों के जरिये उन्हें पता चला कि इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) फर्जी रेंट स्लिप लगाकर डिडक्शन लेने वालों को नोटिस भेज रहा है. खबर पढ़ते ही संजय के पैरों तले जमीन खिसक गई. अब उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर क्या करें और नोटिस का जवाब भी आखिर कैसे दें.
ऐसा सिर्फ संजय के साथ नहीं हो रहा, बल्कि इनकम टैक्स विभाग ने अब फर्जी रेंट स्लिप के जरिये टैक्स क्लेम करने वाले हजारों करदाताओं की पहचान करना शुरू कर दिया है. ऐसे करदाताओं को विभाग धड़ाधड़ नोटिस भी भेज रहा है. नोटिस पाते ही करदाताओं के हाथ से तोते उड़ जाते हैं और उनके मन में सिर्फ एक ही सवाल उठता है कि आखिर कैसे इनकम टैक्स विभाग ने इस फर्जीवाड़े को पकड़ लिया.
यह सिस्टम बनाया है विभाग ने
टैक्स मामलों के जानकार और सीए प्रशांत जैन का कहना है कि इनकम टैक्स विभाग ने जबसे सालाना कमाई के आंकड़े (AIS) और फॉर्म-26एएस के साथ फॉर्म-16 का मिलान शुरू किया है. ऐसे फर्जी मामलों को पकड़ना आसान हो गया है. जो भी करदाता रेंट स्लिप के जरिये हाउस रेंट अलाउंस (HRA) पर टैक्स छूट का दावा करते हैं, उनके मकान मालिक से इसका मिलान कराया जाता है. जब दोनों के एनुअल इनकम स्टेटमेंट को मिलाया जाता है तो इसका अंतर साफ नजर आ जाता है.
कैसे पकड़ में आ रहा फर्जीवाड़ा
टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि विभाग ऐसे मामलों को पकड़ने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का इस्तेमाल कर रहा है. इसके जरिये कमाई और खर्च के तमाम स्रोत का मिलान कर गलत दावों को झट से पकड़ लिया जाता है. दरअसल, रेंट स्लिप के जरिये इनकम टैक्स छूट का दावा करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना हर किसी के लिए जरूरी है.
नियमों के जाल में फंस जाते हैं करदाता
दरअसल, रेंट स्लिप से टैक्स छूट का दावा करने का पहला नियम ये है कि इसके लिए कंपनी की ओर से हाउस रेंट अलाउंस (HRA) मिलना जरूरी है. नियोक्ता भी हर साल अपने एम्प्लॉयी से डिक्लेरेशन मांगता है, जिसमें कर्मचारी किराये के मकान में रहने की बात कहते हैं और HRA के रूप में मिलने वाली रकम टैक्स फ्री मान ली जाती है. टैक्स कटौती के समय इस राशि को उनकी कमाई से अलग कर दिया जाता है. इस तरह HRA पर टैक्स छूट मिल जाती है.
1 लाख से ज्यादा किराये के लिए पैन जरूरी
आयकर नियमों के तहत अगर किसी का सालाना किराया 1 लाख रुपये से ज्यादा है तो उसे मकान मालिक का पैन कार्ड देना जरूरी होता है. ऐसे में जब कोई करदाता रेंट स्लिप के जरिये किराये पर टैक्स छूट लेता है तो मकान मालिक के पैन कार्ड के जरिये उनके AIS में इस राशि का विवरण भी देखा जाता है. अगर बिना किराया चुकाए ही क्लेम किया गया है तो विभाग को इसका पता चल जाता है और फौरन नोटिस आ जाता है.
अगर 1 लाख से कम है किराया तो
अगर किसी का किराया 1 लाख रुपये से कम है तो उसे भी इनकम टैक्स विभाग पकड़ लेता है. दरअसल, नियोक्ता की ओर से HRA के लिए मांगे गए विवरण में किरायानामा यानी रेंट एग्रीमेंट लगाना जरूरी होता है. रेंट एग्रीमेंट बनवाते समय उसमें मकान मालिक का नाम, पता और आईडी प्रूफ के साथ पैन कार्ड का भी विवरण देना जरूरी होता है. ऐसे में जब आप 1 लाख रुपये से कम के किराये का दावा करते हैं तो भले ही इसके लिए मकान मालिक का पैन न लगाना पड़े, लेकिन रेंट एग्रीमेंट में पहले ही दिए गए पैन के विवरण से भी इस फर्जीवाड़े को पकड़ लिया जाता है.