बहराइच। बड़े ओहदों पर बैठे लोगों को भी वह सम्मान नहीं मिल रहा, जो आज भी शिक्षकों को मिलता है। विद्यालय एक स्कूल नहीं बल्कि पूजा स्थल के समान हैं। शिक्षक का कार्य मात्र शिक्षा देना ही नहीं है। एक शिक्षक कुम्हार की चाक और बच्चे उस पर रखी गीली मिट्टी के समान हैं। बच्चों को अपने बच्चे समझते हुए गुणवत्तापरक शिक्षा दें। ।
चित्तौरा ब्लॉक परिसर में बुधवार को निपुण भारत मिशन के तहत शिक्षक संकुलों की क्षमता संवर्द्धन को लेकर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के शुभारंभ पर बुधवार को डीएम मोनिका रानी ने शिक्षकों को आत्मबोध कराया।