देरी से आईटीआर दाखिल करने पर पांच हजार तक भरने होंगे
देरी से आईटीआर दाखिल करने पर पांच हजार तक भरने होंगे
फर्जी रसीद लगाने पर 200 जुर्माना
नई दिल्ली, एजेंसी। आयकर विभाग ने ऐसे करदाताओं पर शिकंजा और कस दिया है, जो किराए की फर्जी रसीद या अन्य कोई बिल लगा रहे हैं। ऐसे लोगों पर विभाग कुल कर देयता का 200 प्रतिशत तक जुर्माना लगा रहा है। साथ ही इन्हें नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं। विभाग की ओर से भेजे गए नोटिस में जमा किराया का पूरा ब्योरा मांगा जा रहा है। वह पैन कार्ड से मिली जानकारी को अन्य स्रोत से मिली जानकारी से सत्यापित कर रहा है। इस काम में एआई की मदद ली जा रही है।
नई दिल्ली, एजेंसी। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है। वेतनभोगी और व्यक्तिगत करदाताओं के लिए आज आखिरी मौका है। हालांकि, वे अंतिम तिथि के बाद भी आईटीआर भर सकते हैं लेकिन जुर्माना और ब्याज दोनों चुकाने होंगे। ऐसे आईटीआर को विलंब की श्रेणी में रखा जाता है।
इसकी अंतिम तिथि भी 31 दिसंबर निर्धारित है। इसके बाद भी यदि कोई करदाता आरटीआर दाखिल करने से चूकता है तो कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
हर माह एक फीसदी ब्याज लगेगा
विलंब से आईटीआर दाखिल करने पर जुर्माने के अलावा ब्याज भी चुकाना पड़ सकता है। आयकर की धारा-234ए के अनुसार, कुल आयकर पर प्रति महीने एक फीसदी के हिसाब से ब्याज वसूला जाएगा। महीने के बाद एक दिन को भी पूरे महीने के तौर पर गणना की जाएगी। उदाहरण के लिए यदि कोई करदाता 3 नवंबर को विलंबित आईटीआर दाखिल करता है तो देरी 3 महीने और 3 दिन की होगी लेकिन ब्याज पूरे चार महीने का वसूला जाएगा।
नुकसान का समायोजन नहीं कर पाएंगे
समय पर आईटीआर दाखिल नहीं करने पर पूंजीगत लाभ, हाउस प्रॉपर्टी और अन्य स्रोतों से होने वाले नुकसान को आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं मिलेगी। आईटीआर समय पर दाखिल की जाए तो नुकसान को आठ साल तक आगे बढ़ाया जा सकता है।
रिफंड पर कोई ब्याज नहीं
यदि कोई करदाता रिफंड के लिए दावेदारी करता है तो विभाग इसे तभी जारी करेगा, जब आईटीआर दाखिल और सत्यापित करने का काम पूरा हो गया हो। हालांकि, विलंबित आईटीआर में रिफंड दावे पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा।
कुल कर के अनुसार विलंब शुल्क चुकाना होगा
आयकर की धारा- 234एफ के अनुसार, अगर किसी करदाता की कुल आय पांच लाख रुपये से अधिक है तो विलंब शुल्क पांच हजार रुपये चुकाना होगा। अगर कुल आय पांच लाख रुपये से कम है तो एक हजार रुपये चुकाने होंगे। यदि रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं है, तो कोई विलंब शुल्क नहीं लगेगा। अगर कुल आय आधार छूट की सीमा से कम है, लेकिन फिर भी देर से रिटर्न दाखिल कर रहे हैं तो इस स्थिति में भी जुर्माना नहीं लगेगा।