उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की भर्तियों में स्नातक की समकक्ष अर्हता का विवाद दूर हो गया है। इसे लेकर शासन ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। ऐसे में समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) सहित कई नई भर्तियां शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 सितंबर 2021 को आदेश जारी किया था कि भर्ती संस्थाएं पद विज्ञापित करने से पूर्व समकक्ष अर्हता का निर्धारण कराते हुए विज्ञापन में उसका स्पष्ट उल्लेख सुनिश्चित करें। उत्तर प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी की ओर से सभी विभागाध्यक्षों को जारी किए गए पत्र के अनुसार कई विभागों ने अवगत कराया है कि समकक्ष अर्हता निर्धारित न होने के कारण उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग रिक्त पदों का अधियाचन वापस कर दे रहा है और इससे भर्ती प्रक्रिया शुरू करने में देर हो रही है।
अपर मुख्य सचिव ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि केंद्र अथवा किसी राज्य सरकार की ओर से विधि द्वारा स्थापित किसी विश्वविद्यालय/डीम्ड विश्वविद्यालय अथवा संस्थान अध्ययन की किसी भी शाखा में यदि स्नातक की उपाधि प्रदान करता है तो वे समस्त उपाधियां स्नातक के रूप में मान्य होंगी। साथ ही केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त विभिन्न व्यावसायिक निकायों/संस्थानों में संचालित तकनीकी पाठ्यक्रमों में प्रदान की गई स्नातक स्तर की उपाधियां शिक्षा मंत्रालय और अखिल भारतीय भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा समय-समय पर निर्गत दिशा-निर्देशों के अधीन स्नातक के समकक्ष मान्य की जाएंगी।