फतेहपुर। स्कूलों में माॅस्क के बाद अब चश्मा लगाना अनिवार्य हो गया है। आंखों का संक्रमण फैलने से स्कूलों ने निर्देश जारी किया है। संक्रमिक छात्र-छात्राओं को कक्षाओं में प्रवेश वर्जित किया गया है।
उधर, शनिवार को आंख के डाक्टरों की ओपीडी कंजेक्टिवाइटिस रोगियों से भरी रहीं।
कंजेक्टिवाइटिस ने बच्चों का पठन पाठन प्रभावित कर दिया है। एक सप्ताह से फैले आंखों के वायरस से ज्यादातर छात्र-छात्राएं प्रभावित हैं। प्रभावित छात्र-छात्राओं को कक्षाओं से बाहर कर दिया गया है। इसके साथ ही अन्य बच्चों को भी चश्मा लगाने की हिदायत दी है। प्रभावित छात्रों को स्कूल के बाहर से लौटाया जा रहा है। खास बात यह है कि वायरस से प्रभावित छात्र-छात्राओं से स्कूल भर रहे हैं।
शनिवार को चिल्ड्रेन पब्लिक सीनियर सेकेंड्री स्कूल चित्रांशनगर यूटी टेस्ट-2 में प्रभावित 50 छात्राओं को अलग बैठकर टेस्ट कराया गया। इसके बाद उन्हें अभिभावकों के साथ घर लौटाया गया। उधर, मदन मोहन नेत्र चिकित्सालय में शनिवार को कुल 249 रोगी आए, जिनमें 200 रोगी कंजेक्टिवाइटिस से प्रभावित रहे। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विश्वेश त्रिपाठी का कहना है कि बारिश के बाद धूप और उमस भरी गर्मी के कारण वायरस फैल रहा है। अच्छी बारिश होने पर वायरस का असर कम हो जाएगा।
डीएम मैम! स्कूल बंद करा दीजिए
आंखों में जलन, करकराहट से बच्चे परेशान हैं। आंख की तकलीफ से प्रभावित बच्चे बोले डीएम मैम स्कूल बंद करा दीजिए। स्कूल बंद नहीं होगा, तो उनकी पढ़ाई पिछड़ जाएगी। शिक्षक स्वस्थ बच्चों को नियमित पढ़ा रहे हैं और उनके कक्षा में प्रवेश पर रोक है। धूप और उमस भरी गर्मी से अन्य बच्चे भी प्रभावित हो सकते हैं।
बचाव में क्या करें, क्या न करें
-दिन में कई बार आंखे ठंड़े पानी से छीटे मारकर धोएं।
-रोगी आंखों की बर्फ से सेंकाई करें।
-काला या रंगीन चस्मा लगाएं।
-आंखों में बार-बार हाथ न लगाएं।
-रोगी अपनी स्वच्छ रूमाल से आंसू पोंछे।
-रोगी अपने कपड़े दूसरों के कपड़ों से दूर रखें।
-प्रभावित होने पर नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
-धूप में बाहर न निकलें।
टीमों को जांच के दिए गए आदेश
सीएमओ डॉ. अशोक कुमार ने 20 जुलाई को राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम (आरबीएसके) और रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) को आदेश जारी किया है कि स्कूल, कॉलेज में जाकर छात्रों का स्वास्थ्य परीक्षण करें। प्रभारी सीएमओ डा. शहाबुद्दीन ने बताया कि टीम लगातार जांच कर रही हैं। बच्चों का उपचार हो रहा है। आवश्यता अनुसार शिविर भी लगाए जा रहे हैं।