प्रयागराज, । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है। साथ ही दोनों पक्षों से अपने तर्कों का सारांश लिखित रूप में दाखिल करने का निर्देश दिया है। याची के अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है।
अधिवक्ता सुनीता शर्मा एवं प्रियंका श्रीवास्तव की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि सरकारी वकीलों को नियुक्त करते समय राज्य द्वारा उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि नियुक्त किए गए अधिवक्ताओं में क्षमता की कमी है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई अधिवक्ताओं को राज्य विधि अधिकारी के रूप में नियुक्ति दी गई है, जिन्हें न्यायिक कार्य का अनुभव नहीं है और उनका रजिस्ट्रेशन दो या तीन वर्ष पूर्व का है। वीसी श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि नियुक्तियों में बृजेश्वर चहल बनाम स्टेट ऑफ पंजाब मामले में पारित सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश का पालन भी नहीं किया गया है।
नियुक्ति पाने वालों कई आपराधिक प्रवृत्ति के हैं तो कई जिला न्यायालय में वकालत करने वाले भी नियुक्त कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि रिटायर न्यायाधीश की कमेटी बनाकर ऐसी नियुक्तियों की जांच की जानी चाहिए और भविष्य में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही नियुक्ति की जानी चाहिए