लखनऊ के कॉलेजों में बायोमेट्रिक उपस्थिति पर प्राचार्य और शिक्षकों में एक मत नहीं है। प्राचार्यो ने इस फैसले का स्वागत किया है, जबकि शिक्षक संघ ने इसे उच्च शिक्षा के पतन की शुरुआत बताई है।
उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. ब्रह्मदेव द्वारा प्रदेश के सभी शासकीय, अनुदानित कॉलेजों में बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। प्राचार्यों, शिक्षकों, छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बायोमेट्रिक सिस्टम से कराने का आदेश दिया है, जिससे लखनऊ के कॉलेजों के प्राचार्य खुश हैं, वहीं शिक्षकों में इसे लेकर नाराजगी है। चौक स्थित कालीचरण पीजी कॉलेज प्राचार्य प्रो. चंद्रमोहन उपाध्याय ने कहा कि बायोमेट्रिक उपस्थिति निर्णय सराहनीय है। आगे की कार्रवाई जल्द की जाएगी। एपी सेन गर्ल्स की प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव का कहना है कि कॉलेज में पहले से ही नॉन टीचिंग स्टाफ, संविदा शिक्षकों और प्राचार्य की बायोमेट्रिक उपस्थिति हो रही है।
शिक्षिकाएं समय से कॉलेज आती हैं और छुट्टी होने पर ही जाती हैं। लुआक्टा महामंत्री डॉ. अंशु केडिया ने बायोमेट्रिक सिस्टम का विरोध जताते हुए कहा कि यह उच्च शिक्षा के नवाचार, शोध एवं नई शिक्षा नीति के उन्नयन में बाधक है। इससे नई शिक्षा नीति के सपने चकनाचूर होंगे।
निजी कॉलेजों में जरूरी हो बायोमेट्रिक हाजिरी
डीएवी डिग्री कॉलेज के प्रो. सुधांशु सिन्हा ने कहा कि निजी कॉलेजों में भी विद्यार्थियों की बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य की जाए, अन्यथा अगले सत्र से राजकीय और एडेड कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के एडमिशन में कमी हो जाएगी।
फैसला राजभवन, सरकार,
नौकरशाहों, प्रबंधकों और प्राचार्यो की साजिश है, जिससे निजीकरण को बढ़ावा दिया जा सके। गरीब छात्रों को शिक्षा से वंचित किया जा सके। – डॉ. मनोज पांडेय (अध्यक्ष, लुआक्टा)