वस्ती महंगाई की आंच अब परिषदीय स्कूलों की रसोई तक पहुंच गई है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को परोसी जाने वाली थाली का स्वाद फीका हो गया है। इससे नौनिहालों को गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
सरकारी स्कूलों में मेन्यू के अनुसार दोपहर में ताजा पौष्टिक भोजन दिया जाता है। प्राइमरी स्कूल में प्रति छात्र पांच रुपये 45 पैसे की दर से और जूनियर स्कूलों में 8 रुपये 17 पैसें की दर से खाना पका कर परोसने के लिए धनराशि भेजी जा रही है। महंगाई का आलम यह है कि जो अरहर की दाल 60 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 120 रुपये तक पहुंच गई है। सरसों का तेल 100 रुपये से बढ़कर 150 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। सब्जियों में आलू 20 रुपये और टमाटर 140 रुपये की दर से बिक रहा है। इसी तरह मसालों के दाम भी काफी बढ़ चुके हैं। वहीं 1000 रुपये में मिलने वाला गैस सिलेंडर 1200 रुपये पार कर है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस महंगाई में स्कूलों के बच्चों को गुणवत्तायुक्त भोजन कैसे परोसा जा रहा। सदर विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय बैरिहवां की प्रधानाध्यापक नीता सिंह ने बताया कि फरवरी से कन्वर्जन कास्ट ही नहीं आ रहा है। ऐसे में बच्चों को
माध्यह्न भोजन का मेन्य
सोमवार- रोटी सब्जी व मौसमी फल
मंगलवार दाल व चावल
बुधवार- दूध व तहरी
गुरुवार- दाल रोटी,
शुक्रवार तहरी
शनिवार सब्जी और चावल –
गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने में समस्या आ रही है। अपने स्तर से ही मेन्यू के अनुसार भोजन बनवाया जा रहा है। वहीं कक्षा पांच के छात्र बंटी ने बताया कि वह गुरुवार को दाल व रोटी खाया है।
जगदीशपुर Google tense संतोष : शुक्ला ने कहा कि महंगाई के हिसाब से कन्वर्जन कास्ट की धनराशि कम है। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन देना भारी पड़ रहा है। वहीं तीन महीने से कन्वर्जन कास्ट नहीं मिल रहा है। बीएसए अनूप कुमार ने बताया कि सभी विद्यालयों के खातों में सितंबर तक के कन्वर्जन कास्ट की धन भेजी जा चुकी है। जिन विद्यालयों में नहीं गया है उन विद्यालयों के खाते में कोई त्रुटि होगी या फिर कन्वर्जन कास्ट की धनराशि रही होगी।
सब्जियों का दर प्रति किलोग्राम में आलू- 20 रुपये प्रति किग्रा, प्याज- 30 रुपये प्रति किग्रा, टमाटर -160 रुपये प्रति किग्रा, अदरक 200 रुपये प्रति किग्रा, भिंडी 25 रुपये- प्रति किग्रा, लौकी 30 रुपये, हरा मिर्च 100 रुपये प्रति किग्रा है।