अंबेडकर नगर, शिक्षामित्र शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष व शिक्षामित्र केयर समिति अंबेडकर नगर के जिला संयोजक रामचंद्र मौर्य ने कहा कि सरकार द्वारा शिक्षामित्रों के प्रति उदासीनतापूर्ण रवैया अपनाए जाने के चलते आए दिन उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों की मौत हो रही है। अब तक लगभग उत्तर प्रदेश के 10000 से अधिक शिक्षामित्रों की मौत हो जाने के बाद भी जिम्मेदार मौन हैं। और शिक्षामित्र की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई है। समस्याओं के समाधान का कोई अता पता नहीं है आज से दो दशक पूर्व जब बेसिक शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल हो चुकी थी तब गांव के मेधावी युवाओं को शिक्षा व्यवस्था सुधार करने के लिए प्राथमिक विद्यालय में शिक्षामित्र पद पर नियुक्त किया गया था। उस समय शिक्षामित्र को मात्र 2250 रुपए मानदेय दिया जा रहा था। 2250 से बढ़ाकर 2400 फिर 3500 तक का मानदेय दिया गया शिक्षामित्र द्वारा बीटीसी का प्रशिक्षण पूरा करने के उपरांत पूर्व की सरकार द्वारा शिक्षामित्रों का शिक्षक पद पर समायोजन कर दिया गया था। बाद में समायोजन निरस्त हो जाने के बाद शिक्षामित्र को ₹10000 मानदेय 11 माह के लिए दिया जाने लगा इस बढ़ती महंगाई में दो दशक से अधिक समय से कार्य करने वाले अनुभवी व शिक्षक की सभी योग्यता रखने वाले शिक्षामित्र को मात्र ₹10000 ग्यारह माह के लिए मानदेय के रूप में दिया जा रहा है। मानदेय भी समय से न मिलने के कारण इस बढ़ती महंगाई में शिक्षामित्रों द्वारा परिवार चलाना व जीवन यापन करना मुश्किल हो रहा है और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते आए दिन आर्थिक तंगी ,अवसाद व आत्महत्या के चलते शिक्षामित्रों की मौत हो रही है। अब तक लगभग उत्तर प्रदेश के 10000 से अधिक शिक्षामित्रों की मौत हो जाने के बाद भी सरकार मौन है। शिक्षामित्र शिक्षक संघ अंबेडकर नगर के जिलाध्यक्ष व शिक्षामित्र केयर समिति अंबेडकर नगर के जिला संयोजक रामचंद्र मौर्य ने उत्तर प्रदेश सरकार से शीघ्र शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान कराए जाने की मांग किया है।
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