इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीएसई और उत्तर प्रदेश सरकार से राज्यभर में स्कूल-कॉलेज भवनों में चल रहे कोचिंग संस्थानों के खतरे को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने मनीष कुमार मिश्र की याचिका पर दिया है। याचिका में यूपी कोचिंग विनियमन अधिनियम 2002 और सीबीएसई परिपत्र (अगस्त 2019) का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि याची जानकी ट्रस्ट का सदस्य है, जो सीबीएसई से संबद्ध एक स्कूल चला रहा है।
उसका कहना है कि उनके संस्थान के आसपास सीबीएसई से संबद्ध कई संस्थान और स्कूल/कॉलेज भवनों के परिसर में कोचिंग संस्थान चल रहे हैं, जो सीबीएसई के साथ यूपी कोचिंग विनियमन अधिनियम 2002 की नीति के विपरीत है। कहा गया कि इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को कई बार अर्जियां दी गईं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 14 अगस्त की तारीख लगाई है। याचिका के अनुसार सीबीएसई के 2019 परिपत्र के साथ राज्य के 2002 अधिनियम में स्कूल/कॉलेज भवनों, परिसर के भीतर कोचिंग संस्थान चलाने पर रोक है।
सीबीएसई ने संबद्ध स्कूलों को अपने परिसर से व्यावसायिक गतिविधि चलाने पर विशेष रूप से चेतावनी दी है।