छह महीने से ज्यादा वक्त बीत गया लेकिन तब से बेसिक शिक्षकों के प्रमोशन की प्रक्रिया जहां की तहां अटकी है। अभी तक सभी जिलों की वरिष्ठता सूची तक पोर्टल पर अपलोड नहीं हो सकी है। अब शिक्षकों का धैर्य जवाब देने लगा है। इसको लेकर सोमवार को प्रदेशभर से शिक्षक छुट्टी लेकर लखनऊ पहुंच रहे हैं। वे शिक्षा मंत्री और विभाग के अफसरों से मिलकर स्थिति साफ करने की मांग करेंगे।
बेसिक शिक्षकों के प्रमोशन की प्रक्रिया फरवरी शुरू हुई थी। उसके बाद से आवेदन और फिर में वरिष्ठता सूची जारी करने की तारीख लगातार बढ़ती रही। करीब एक दर्जन बार तारीख बढ़ने के बाद प्रक्रिया थम गई। इस बीच तबादलों के आदेश हो गए। इसमें से अंतरजनपदीय तबादले हो चुके हैं और अब तैनाती प्रक्रिया शुरू हो गई है लेकिन प्रमोशन को लेकर विभाग के अफसर अब चुप्पी साधे हैं।
पिछले महीने एक आदेश आया था कि सभी बीएसए 24 जुलाई तक वरिष्ठता सूची को जांच लें। हकीकत यह है कि पोर्टल पर अभी तक 29 जिलों की ही अंतिम सूची अपलोड हो पाई है। तब से कोई नया आदेश नहीं आया।
बेसिक शिक्षकों के प्रमोशन कई साल से नहीं हुए। अब फिर से प्रमोशन प्रक्रिया लटकने से शिक्षकों में रोष है। कई जिलों में शिक्षकों ने रविवार को अपने क्षेत्र के सांसदों और नेताओं से भी मुलाकात कर यह समस्या रखी। प्रदेशभर से शिक्षक अब छुट्टी लेकर सोमवार को लखनऊ में जुटेंगे।
वरिष्ठता सूची को लेकर काफी आपत्तियां आई थीं। उनका निस्तारण किया जा रहा है। जल्द ही सभी जिलों की अंतिम सूची जारी कर तबादले किए जाएंगे। – विजय किरण आनंद, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा
प्रमोशन में फंस रहे ये पेच
प्रमोशन प्रक्रिया में अब भी कई पेच फंस रहे हैं। सबसे बड़ी दिक्कत वरिष्ठता सूची को लेकर है। इसमें बड़ा पेच टीईटी की अनिवार्यता को लेकर है। इसी वजह से 2018 में प्रमोशन प्रक्रिया रुक गई थी। जिन शिक्षकों का प्रमोशन होना है वे प्राइमरी के सहायक से जूनियर के सहायक अध्यापक बनेंगे। इनमें शिक्षक बनने के लिए जूनियर टीईटी अनिवार्यता को आधार बनाकर कुछ शिक्षक 2018 में कोर्ट चले गए थे। प्रदेश में कुछ शिक्षक जूनियर टीईटी पास हैं और कुछ नहीं। अभी जो 29 जिलों की वरिष्ठता सूची अपलोड हुई है, उसमें दोनों तरह के शिक्षक हैं। अधिकारी असमंजस में हैं कि बिना टीईटी वालों को शामिल करें या नहीं। इस वजह से वरिष्ठता सूची तैयार नहीं हो पा रही। प्रमोशन प्रक्रिया शुरू करने से पहले इसके लिए पूरी तैयारी नहीं की गई। शुरुआती आदेश में यह भी साफ नहीं किया गया कि कितने पद हैं और कितने पर प्रमोशन होगा। यही वजह है कि अब अधिकारी खुद असमंजस में हैं कि क्या करें ?