लखनऊ
बेसिक शिक्षकों की 72,825 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकला और वह 2012 में निरस्त हो गई। जिलेवार भर्ती के लिए अभ्यर्थियों ने कई-कई जिलों में आवेदन किए। ऐसे में आवेदन शुल्क भी हर जिले में जमा किया लेकिन वह आज तक वापस नहीं किया गया। अब हाई कोर्ट लगातार आदेश दे रहा है। उसके बावजूद भी बेसिक शिक्षा विभाग उनकी फीस वापस नहीं कर पा रहा। विभाग के आला अफसर जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) से हिसाब मांग रहे हैं। डायट अभी हिसाब ही नहीं दे पा रहे। ऐसे में माना जा रहा है कि शुल्क वापसी की राह अभी आसान नहीं है।
यह है मामला
बेसिक शिक्षकों के 72,825 पदों के लिए 2012 में सपा सरकार में विज्ञापन जारी किया गया था। भर्ती के लिए जिलेवार आवेदन मांगे गए थे। ऐसे में अभ्यर्थियों ने कई जिलों में आवेदन किए थे। ऐसे अभ्यर्थी भी हैं जिन्होंने 40-45 जिलों में आवेदन किया था। विज्ञापन में त्रुटि होने के कारण ये भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर दी गई थी। उसके बाद नए सिरे से भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया लेकिन पहले आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों से ली गई
बहुत पुराना मामला है। अब हमारी कोशिश है कि सभी अभ्यर्थियों की फीस वापस हो जाए, इसलिए डायट से ब्योरा मांगा जा रहा है। निश्चित ही सभी अभ्यर्थियों की जल्द से जल्द फीस वापस की जाएगी। -प्रताप सिंह बघेल, सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद
फीस आज तक वापस नहीं की गई
आदेश के बाद भी फीस वापसी नहीं
भर्ती के लिए सामान्य और ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए 500 रुपये, एससी एसटी के लिए 200 रुपये शुल्क था। विभागीय सूत्रों के अनुसार अभ्यर्थियों से आवेदन शुल्क का करीब 290 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा हुआ। जब शुल्क वापस नहीं हुआ तो कुछ अभ्यर्थी कोर्ट गए। इसके बाद 2018 में परिषद ने फीस वापसी के आदेश जारी किए थे लेकिन आज तक फीस वापस नहीं हुई।
पहले डायट हिसाब दे, तब हो फीस वापसी
आवेदन शुल्क के करीब 290 करोड़ रुपये है। अभी सरकार के पास
। हाल ही में कोर्ट ने फिर फीस वापसी के आदेश दिए हैं। इसके बाद फिर बेसिक शिक्षा परिषद ने आदेश जारी किए कि सभी संबंधित डायट में आवेदन करके फीस वापस ले सकते हैं। उधर सभी डायट को भी आदेश दिए गए कि वे अपने जिले में अभ्यर्थियों और जमा फीस का ब्योरा भेजें। अभी तक डायट ये ब्योरा नहीं दे पाए हैं। अभी फीस वापसी भी नहीं हो रही। ऐसे में अभी 17 अगस्त को फिर एक आदेश जारी किया गया है। इसमें फिर से सभी डायट को ब्योरा भेजने के निर्देश दिए गए हैं ताकि फीस वापसी की जा सके।
इसलिए आ रही मुश्किल
समझिए खबरों के अंदर की बात मामला 2012 का है।
भर्ती के लिए जिलेवार आवेदन मांगे गए। फीस भी हर जिले में जमा हुई। हर अभ्यर्थी ने अलग-अलग जिलों में कई आवेदन किए। भर्ती निरस्त हो गई लेकिन तब अफसरों ने ढिलाई बरती और फीस वापस नहीं की। अभ्यर्थी लगातार मांग करते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। कोर्ट ने जब पहली बार 2018 में फीस वापसी के लिए कहा तो बेसिक शिक्षा परिषद ने फीस वापसी के आदेश तो कर दिए लेकिन गंभीरता से नहीं लिया। कोर्ट की सख्ती के बाद फिर से विभाग के अफसर आदेश कर रहे हैं। अब मुश्किल ये है कि पहले तो हर जिले से इतना पुराना हिसाब मिले। एक अभ्यर्थी ने एक आवेदन किया होता तब तो हिसाब भी आसान होता। किसी ने 10 तो किसी ने 40 और 45 जिलों तक में आवेदन कर दिए। ऐसे में हर जिले में उसकी फीस भी जमा हुई। यह हिसाब जिले की डायट से ही लिया जाना है। विभाग के ही जानकारों का मानना है कि कोशिश करने पर भी इसमें वक्त तो लगेगा ही।