केस-01 : स्वामी विवेकानन्द इंटर कॉलेज मड़ियाहूं जौनपुर के प्रवक्ता अभिषेक सिंह व अशोक कुमार मौर्य और सहायक अध्यापक अशोक कुमार वर्मा की सेवा समाप्त कर प्रबंध समिति ने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को भेज दिया था। लेकिन चयन बोर्ड में सदस्यों के न होने के कारण दंड प्रकरण पर न तो सुनवाई हो पा रही है और न ही कोई निर्णय हो रहा है।
केस-02: पं. जेएन अखंड इंटर कॉलेज चंदवारा बांदा के सहायक अध्यापक रामरोशन दिनकर को प्रबंधन ने पहले निलंबित किया और फिर पांच मार्च 2021 को उनकी सेवा समाप्ति करते हुए पत्रावली जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय को भेज दी। डीआईओएस कार्यालय से मामला चयन बोर्ड को भेजा गया। लेकिन आठ अप्रैल 2022 को चयन बोर्ड के सभी सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के कारण मामले पर अब तक निर्णय नहीं हो सका है।
प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के 175 दंड प्रकरणों पर सवा साल से कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है। इनमें से अधिकांश प्रकरण शिक्षकों की सेवा समाप्ति के हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की नियमावली के अनुसार दंड से पहले प्रबंधकों को चयन बोर्ड से अनुमोदन लेनी होती है। लेकिन चयन बोर्ड में आठ अप्रैल 2022 से दस में से एक भी सदस्य नहीं होने के कारण न तो इन प्रकरणों पर सुनवाई हो रही है और न ही कोई निर्णय हो पा रहा है। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप पर इक्का-दुक्का प्रकरणों पर निवर्तमान अध्यक्ष वीरेश कुमार ने निर्णय लिया था, लेकिन अप्रैल में ही वीरेश कुमार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से सबकुछ ठप हो गया है। वर्तमान में उपसचिव नवल किशोर की देखरेख में सिर्फ फाइलिंग का काम हो रहा है। कोई दस्तावेज कम होते हैं तो उन्हें जिलों से मंगवाकर फाइलों में लगवा दिया जाता है।
नए आयोग को ट्रांसफर होगी सभी फाइलें और केस
परिषदीय स्कूलों से लेकर सहायता प्राप्त महाविद्यालयों तक की शिक्षक भर्ती के लिए कैबिनेट ने नए शिक्षा सेवा आयोग को मंजूरी दी है। चयन बोर्ड में लंबित सभी दंड प्रकरण और मुकदमे नए आयोग को ट्रांसफर होंगे। ऐसे में इन प्रकरणों के निस्तारण में समय लगेगा।