नीदरलैंड की तर्ज पर प्रदेश में स्कूलों से ड्रॉपआउट (स्कूल छोड़ने वाले) बच्चों को चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। देवीपाटन मंडल के सभी परिषदीय विद्यालयों में नीदरलैंड के अर्ली वार्निंग सिस्टम (अग्रिम चेतावनी व्यवस्था) को लागू किया जाएगा। इसमें अभिभावकों से संपर्क कर और सामुदायिक सहभागिता बढ़ाकर बच्चों को स्कूल में लाने व रोकने का प्रयास किया जाएगा।
मार्च के अंत में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह के नेतृत्व में एससीईआरटी के अधिकारियों व शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल नीदरलैंड गया था। वहां से अग्रिम चेतावनी व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद इसे प्रदेश में लागू करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसके तहत स्कूल न आने वाले और बीच में छोड़कर जाने वालों की तत्काल जानकारी मिलेगी और उन्हें स्कूल लाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
इस व्यवस्था देवीपाटन मंडल के गोंडा, बहराइच, बलरामपुर व श्रावस्ती जिलों से शुरू की जा रही है। इसमें विद्यालय प्रबंध समिति की हर महीने बैठक, मां समूह की बैठक, ग्राम सभा की बैठक और शिक्षकों का गांव भ्रमण नियमित किया जाएगा। वहीं, बेसिक शिक्षा विभाग विद्यालय छोड़ने वाले बच्चों को यूनीसेफ के सहयोग से चिह्नित करने के बाद उनको वर्गीकृत कर विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजना से जोड़ेगा।
विभाग इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए देवीपाटन मंडल के चार जिलों के ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों, संदर्भदाताओं और शिक्षकों को प्रशिक्षण दे रहा है। इसके लिए राज्य स्तर पर संदर्भदाताओं की ओर से ब्लॉक के सभी एआरपी को दो दिन का प्रशिक्षण जिला मुख्यालय पर दिया जाएगा। यह एआरपी ब्लॉक स्तर पर प्रधानाध्यापक व प्रभारी प्रधानाध्यापकों को प्रशिक्षण देंगे।
शहरी क्षेत्र में नगर निगम भी होगा शामिल
ग्रामीण क्षेत्र में इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने में ग्राम सभा और शहरी क्षेत्र में नगर निगम का सहयोग लिया जाएगा। पार्षदों की सहयोग से अभिभावकों को ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति में कमी और स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को सामुदायिक सहभागिता से रोकने व कम करने के लिए यह व्यवस्था शुरू की जा रही है। इसे देवीपाटन मंडल में शुरू किया जा रहा है। बाद में पूरे प्रदेश में लागू करेंगे।
-विजय किरन आनंद, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा