भारतीय न्याय संहिता में किया गया है सख्त सजा का प्रस्ताव
नई दिल्ली, प्रेट्र फर्जी खबरें या भ्रामक जानकारी फैलाने वाले लोग अब कानून के शिकंजे से बच नहीं पाएंगे। भारतीय दंड संहिता का स्थान लेने जा रहे भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 में ऐसे लोगों को तीन साल तक की जेल का प्रविधान किया गया है। शुक्रवार को लोकसभा में पेश यह विधेयक समीक्षा के लिए स्थायी समिति के पास भेजा गया है। भारतीय न्याय संहिता, 2023 में आतंकवाद तथा संगठित गिरोहों द्वारा किए जाने वाले जघन्य अपराधों से निपटने के लिए भी कई विशेष प्रविधान किए गए हैं। मौजूदा कानून देश से भाग चुके भगोड़ों और विदेश में रहने वाले साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम नहीं हैं।
देश की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालने वाली ‘फर्जी खबर या भ्रामक जानकारी फैलाने वाले लोगों के खिलाफ सरकार सख्त कानून बनाने जा रही है। विधेयक में कहा गया है अगर कोई व्यक्ति भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता या सुरक्षा को खतरे में डालने वाली झूठी या भ्रामक खबर बनाता है या प्रकाशित करता है, तो उसे तीन साल तक की जेल की सजा दी जाएगी। या फिर उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों सजाएं एक साथ दी जा सकती हैं।
संगठित अपराध को लेकर इस प्रस्तावित कानून में एक नई धारा जोड़ी गई है। यह धारा किसी संगठित गिरोह या उसके सदस्य द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष सामग्री और वित्तीय लाभ अर्जित करने के लिए हिंसा, जोर जबरदस्ती या अन्य अवैध साधनों का इस्तेमाल करने वाली गैरकानूनी गतिविधियों के लिए दंड का प्रविधान करती है। नए कानून के अनुसार,
आतंकवाद तथा जघन्य अपराध से निपटने के लिए विशेष प्रविधान • संगठित अपराध को कहा जाएगा सिंडिकेट न्यूनतम सजा पांच वर्ष
भगोड़े अपराधियों पर भी चलेगा मुकदमा
नई दिल्ली, प्रेट्र : भारतीय न्याय संहिता विधेयक में भगोड़ अपराधियों पर भी सख्ती की गई है। स्थायी भगोड़ो और मुकदमे के दौरान भाग गए लोगों से निपटने के लिए विधेयक में एक विशेष प्रविधान जोड़ा गया है। यदि कोई व्यक्ति घोषित अपराधी है और निकट भविष्य में गिरफ्तारी की संभावना नहीं होने के
तीन या अधिक व्यक्तियों का समूह जो अकेले या सामूहिक रूप से गंभीर अपराधों को अंजाम देगा, उसे संगठित अपराध ‘सिंडिकेट’ कहा जाएगा। यदि किसी गैरकानूनी कार्य के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसके लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रविधान किया गया है। अन्य मामलों में ‘सिंडिकेट’ के सदस्य के लिए न्यूनतम पांच साल की सजा का प्रविधान किया गया है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।
घातक हथियारों और किसी अन्य के जीवन को खतरे में डालने वाले उपकरण का उपयोग करके आम जनता को डराना या सार्वजनिक व्यवस्था को परेशान करना और भारत की एकता, अखंडता और
डाटा के दुरुपयोग पर लगेगा
250 करोड़ तक का जुर्माना नई दिल्ली अब यदि कोई संस्था या कंपनी नागरिकों से जुड़े डाटा का दुरुपयोग करती है तो उस पर 250 करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। राष्ट्रपति के मंजूरी के बाद डिजिटल निजी डाटा सुरक्षा कानून प्रभाव में आ गया है। नागरिकों को कई अधिकार दिए गए है। देखें 20 19
कारण वह मुकदमे से बच रहा है, तो अदालत मुकदमे को नहीं रोकेगी। इसके “अलावा अदालत मुकदमे को इस तरह आगे बढ़ाएगी जैसे कि भगोड़ा मौजूद था और फैसला सुनाएगी। इससे तमाम राज्यों में बड़ी संख्या में अपराधियों और आतंकवादियों को कवर किए जाने की संभावना है। संबंधित खबर 2019
सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए की गई कोई भी गतिविधि इस नई धारा में शामिल है। इसमें सरकार को कुछ कार्य करने के लिए मजबूर र करने या कुछ कार्य करने से विरत रहने के लिए किसी व्यक्ति के ( अपहरण और बंधक बनाने के कृत्यों को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा, गैर-कानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए ) की दूसरी अनुसूची के अंतर्गत आने वाला कोई भी कृत्व आतंकवादी कृत्य मानता है। इस धारा के तहत प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आतंकवादी कृत्य में शामिल किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी माना जाएगा। इसी प्रकार, आतंकवादी कृत्यों में शामिल व्यक्तियों या इनके स्वामित्व या प्रबंधन वाली किसी भी संस्था को आतंकवादी संगठन माना जाएगा।