लोगों की आमदनी बढ़ने के साथ ही उन्हें सरकार को टैक्स भी देना पड़ता है. हर साल लोगों को इनकम टैक्स दाखिल करना होता है और अपनी कमाई का खुलासा करना होता है. इसके साथ ही लोगों की टैक्सेबल इनकम पर टैक्स चुकाना पड़ता है.ज्यादातर लोग चाहते हैं कि उनके टैक्स में थोड़ी बचत हो जाए.
ऐसे में आज हम यहां बताने वाले हैं कि जब अगले साल आप इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करें तो पुराने टैक्स रिजीम के तहत कैसे टैक्स सेविंग की जा सकती है. आइए जानते हैं इसके बारे में…
धारा 80सी के तहत टैक्स सेविंग
पुराने टैक्स रिजीम के तहत अगर इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करें तो इनकम टैक्स एक्ट के तहत धारा 80सी के तहत इनकम टैक्स में छूट हासिल की जा सकती है.
इस धारा के तहत लोग कुछ स्कीम में इंवेस्टमेंट कर सकते हैं और टैक्स सेविंग कर सकते हैं.धारा 80डी
धारा 80डी के तहत खुद की, पति/पत्नी और आश्रित बच्चों के स्वास्थ्य का बीमा करने के लिए नकद के अलावा किसी भी अन्य माध्यम से भुगतान किया गया प्रीमियम आपकी टैक्सेबल आय से 25,000 रुपये तक की कटौती के लिए पात्र है.
वरिष्ठ नागरिक माता-पिता की स्वास्थ्य पॉलिसियों पर प्रीमियम का भुगतान करने से आप अपनी कर योग्य आय से 30,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती केपात्र बन जाते हैं, जिससे आपको अधिक कर बचाने में मदद मिलती है. इस सीमा में निवारक स्वास्थ्य जांच पर होने वाला 5000 रुपये तक का खर्च शामिल है.
किराये की रसीदें जमा करके
अगर आप किराए के मकान में रह रहे हैं और अपने नियोक्ता से मकान किराया भत्ता (एचआरए) प्राप्त करते हैं, तो आप धारा 10(13ए) के तहत कटौती का दावा कर सकते हैं. कुल आय पर टैक्स की गणना करने से पहले निम्नलिखित तीन में से कम से कम को टैक्सेबल आय से छूट के रूप में अनुमति दी जाएगी.
डोनेशन कुछ राहत कोषों और धर्मार्थ संगठनों के लिए किया गया दान
धारा 80जी के तहत कटौती के लिए पात्र है. हालांकि, खाद्य सामग्री, दवाइयां आदि जैसी वस्तुओं में किया गया कोई भी दान कटौती के लिए पात्र नहीं है. आप धारा 80जी के तहत टैक्स कटौती का दावा केवल तभी कर सकते हैं जब आपने चेक, डिमांड ड्राफ्ट या नकद के माध्यम से दान दिया हो (यदि 2,000 रुपये से अधिक का दान नकद के 2,000 रुपये से अधिक का दान नकद के अलावा किसी अन्य माध्यम से नहीं किया जाता है तो कोई कटौती की अनुमति नहीं है). साथ ही वस्तु के रूप में योगदान टैक्स कटौती के लिए योग्य नहीं है.