परिषदीय स्कूलों से प्राइवेट स्कूलों में जाने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों ने भी शिक्षकों को आखिरी वक्त तक गुमराह किया। जुलाई में भी कभी हफ्ते में एक दिन तो कभी दो दिन स्कूल में छात्रों को भेजते रहे।
इधर जैसे ही डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत इन बच्चों के अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये की धनराशि पहुंची, दूसरे दिन से ही स्कूल में आना बंद कर दिया।
जिले भर के करीब-करीब सभी ब्लॉक में यही स्थिति दिखाई दे रही है। डीबीटी की धनराशि खातों में पहुंचने के बाद में स्कूलों में छात्र संख्या में कमी आ गई है। इन छात्रों के द्वारा अभी तक चोरी-छिपे प्राइवेट स्कूलों में हाजिरी लगाई जा रही थी। जब शिक्षक इनके घर पर फोन करते थे, तो अभिभावक तबियत खराब होने का बहाना बनाकर इन बच्चों को एक-दो दिन के लिए स्कूल भेज देते तथा इसके बाद में फिर से बच्चे गायब हो जाते।
अभिभावकों को डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर योजना के तहत यूनिफॉर्म, जूते एवं स्वेटर की धनराशि खाते में आने का इंतजार था। यही वजह है कि डीबीटी की धनराशि स्थानांतरित होने के बाद में अब अभिभावक सीधे तौर पर शिक्षकों से कह रहे हैं कि उनके बच्चे अब फलां-फलां प्राइवेट स्कूल में जा रहे हैं। इसके बाद शिक्षकों द्वारा इस संबंध में ब्लॉक के शिक्षाधिकारियों को अवगत कराया जा रहा है। इधर बच्चों के प्राइवेट स्कूलों में जाने से परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या गिरने का भी डर सता रहा है।