लखनऊ। प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक प्राइमरी विद्यालय को उच्चीकृत कर मुख्यमंत्री अभ्युदय कम्पोजिट विद्यालय बनाया जाएगा। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से एक कार्ययोजना भी तैयार की गई है। इसके तहत जिले के सर्वश्रेष्ठ प्राइमरी, अपर प्राइमरी या कम्पोजिट स्कूल को उच्चीकृत कर मॉडल स्कूल के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। इसके लिए चयनित स्कूल को अत्याधुनिक एवं सुविधाओं से परिपूर्ण बनाया जाएगा।
स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनन्द ने इसके लिए सभी जिलों के जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर मुख्यमंत्री अभ्युदय कम्पोजिट स्कूल की परिकल्पना की विस्तृत जानकारी साझा की है। पूर्व में प्रत्येक विकास खण्ड स्तर पर पहले से संचालित पांच प्राइमरी स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं से उच्चीकृत करने का एक प्रस्ताव जिलों से मांगा गया था, जिसका संशोधित प्रारूप बताते हुए महानिदेशक ने इस नए प्रस्ताव पर शीघ्र कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। महानिदेशक द्वारा जारी पत्र में मुख्यमंत्री अभ्युदय कम्पोजिट विद्यालय के लिए चुने जाने के लिए बकायदा मानक भी तय कर दिए गए हैं।
- चयनित विद्यालय जिला या तहसील मुख्यालय के समीप हो।
- चयनित विद्यालय यथासम्भव जिले के मुख्यमार्ग (नेशनल हाईवे या स्टेट हाईवे) के करीब हो।
- विद्यालय परिसर में उसके भवन के अलावा 1300 वर्गमीटर का निर्माण योग्य रिक्त निशुल्क व निर्विवाद भूमि उपलब्ध हो।
- चयनित विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक कक्ष के साथ न्यूनतम 08 कक्ष पहले से निर्मित हो।
- चयनित विद्यालय पूर्व से चिन्हित अधिकांश 19 मूलभूत सुविधाओं मसलन, बालक-बालिकाओं के पृथक मूत्रालय और शौचालय, स्वच्छ पेयजल, हाथ धोने की सुविधा, क्रियाशील विद्युत कनेक्शन, दिव्यांग छात्रों के लिए निर्बाध पहुंच, रसोईघर, कक्षाओं व शौचालयों का टाइलीकरण, सुरक्षित बाउंड्री, तथा बेहतर मुख्यद्वार आदि।
- चयनित विद्यालय का भौतिक परिवेश एवं भवन आदर्श स्थिति में हो।
- चयनित विद्यालय में न्यूनतम नामांकन 200 से ऊपर हो।
- चिन्हित या चयनित विद्यालय में भू-स्थल की उपलब्धता के आधार पर नये निर्माण, लघु मरम्मत,एवं आवश्यक उच्चीकरण कार्य के लिए उपयुक्त विकल्प के चयन में आसानी हो।