बलरामपुर।
आजादी के पहले वजूद में आई नगर पालिका बलरामपुर पर अंग्रेज शासकों सहित बलरामपुर रियाशत के लोगों ने भी राज किया। आजादी के बाद विभिन्न दलों के लोगों ने सत्ता संभाली। 1887 के बाद अब दौर 21वीं सदी के 2022 का आ गया है। इस दौरान भाजपा शासन काल में बलरामपुर नगर पालिका को आदर्श नगर पालिका का दर्जा तो जरूर मिल गया, लेकिन यहां के शैक्षिक पिछड़़ेपन को दूर करने की पहल अब तक नहीं हुई। भाजपा, सपा, बसपा व कांग्रेस सहित किसी दल के जनप्रतिनिध ने परिषदीय स्कूलों के लिए जमीन उपलब्ध नहीं कराई, जिसका नतीजा है कि नगर क्षेत्र में सरकारी विद्यालय किराए के जर्जर भवन और मंदिरों में संचालित हो रहे हैं। यही हाल ऑगनबाड़ी केन्द्रों का भी है। कई केन्द्र स्कूल परिसर व दुकानों में संचालित किए जा रहे हैं।
शिक्षा के क्षेत्र बलरामपुर नगर पालिका परिषद का योगदान आजादी के बाद कुछ विशेष नहीं रहा है। बलरामपुर नगर क्षेत्र में 19 प्राथमिक व कम्पोजिट विद्यालय संचालित हैं। प्राथमिक विद्यालय अचलापुर, भगवतीगंज, नगर पालिका जूनियर हाई स्कूल, कम्पोजिट विद्यालय खलवा, पूरब टोला, प्राथमिक विद्यालय मोती सागर, चिकनी व कम्पोजिट विद्यालय विशुनापुर आज भी निजी भवन में चल रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि प्राथमिक विद्यालय पहलवारा मैदानी बाबा मंदिर में खुले आसमान के नीचे व कम्पोजिट विद्यालय भगवतीगंज राम जानकी मंदिर ठाकुरद्वारा में चल रहा है। इसी तरह से प्राथमिक विद्यालय नहर बालागंज कांशीराम आवास दुकान में चल रहा है तो टेढ़ी बाजार व नई बस्ती का सरकारी स्कूल किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं। परिषदीय विद्यालयों के लिए नगर पालिका द्वारा जमीन की व्यवस्था नहीं कराई गई है। जिसके कारण इन विद्यालयों को आज तक अपना भवन नहीं मिल पाया है और न ही परिषदीय विद्यालयों को सरकारी जमीनों में स्थापित करने का कोई प्रयास किया गया। कई ऐसे जर्जर भवन हैं, जिसमें परिषदीय भवन संचालित हो रहे हैं, वह कभी भी धराशायी हो सकते हैं। इससे किसी दिन बड़ा हादसा भी हो सकता है। बच्चे जान को जोखिम में डालकर पढ़ाई करते हैं। नगरवासियों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को पहल करके किराए के भवन में चल रहे परिषदीय विद्यालयों के लिए जमीन चिन्हित कर निर्माण कराएं। जिससे बच्चों के भविष्य के साथ किसी प्रकार का खिलवाड़ न हो सके।
उधारी के भवन में सुधर नहीं रही आंगनबाड़़ी केन्द्रों की सेहत
नगर क्षेत्र में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र बदहाल हैं। नवनिहालों को कुपोषण से बचाने को संचालित बाल विकास परियोजना को खुद पोषण की दरकार है। वर्षों बाद नगर क्षेत्र में संचालित ऑगनबाड़ी केन्द्रों को उनका निजी भवन नसीब नहीं हो सका है। शहर के 48 केन्द्रों का संचालन 16 प्राथमिक विद्यालयों, मदरसों व निजी स्कूलों के भवनों में हो रहा है। यही नहीं इन केन्द्रों को संचालित और नियंत्रित करने वाला सीडीपीओ कार्यालय आजादी के बाद आज भी नगर के किराए के भवन में संचालित हो रहा है। हिन्दुस्तान के पड़ताल में यह बात सामने आई कि नगर के प्राथमिक पाठशाला चिकनी, कन्या मोतीसागर, प्राथमिक पाठशाला सेवा समिति, नई बस्ती, मैदानी बाबा मंदिर पहलवारा, प्राथमिक पाठशाला खलवा में तीन-तीन ऑगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं। प्राथमिक पाठशाला प्राचीन, गोविंद बाग, आदर्श प्राथमिक स्कूल नार्मल, पूर्व माध्यमिक विद्यालय पूरब टोला, प्राथमिक विद्यालय भगवतीगंज व कन्या प्राथमिक जूनियर हाई स्कूल भगवतीगंज में दो-दो ऑगनबाड़ी केन्द्र चल रहे हैं। जबकि प्राथमिक पाठशाल बलुहा व टेढ़ी बाजार में सात ऑगनबाड़ी केन्द्र चलाए जा रहे हैं। वहीं प्राथमिक विद्यालय अचलापुर व प्राथमिक पाठशाला पूरबटोला में एक-एक केन्द्र चल रहा है। मदरसा दारुल उलूम, निजी स्कूल व विशुनीपुर में एक दुकान में ऑगनबाड़ी केन्द्र चल रहे हैं।
सरकारी स्कूल व ऑगनबाड़ी केन्द्र निजी भवनों में चल रहे हैं। इसकी सूचना है विद्यालयों व ऑगनबाड़ी केन्द्रों को निजी भवन दिलाने के लिए जमीन की तलाश की जा रही है। जमीन मिलते ही इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा।
धीरेन्द्र प्रताप सिंह धीरू, अध्यक्ष नगर पालिका परिषद बलरामपुर