सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक फैसले में कहा है कि प्राथमिक शिक्षकों के लिए डीएलएड उत्तीर्ण अभ्यर्थी योग्य हैं, जबकि बीएड शिक्षकों को इसके लिए योग्य नहीं माना गया है। इस निर्णय का असर न सिर्फ राजस्थान में शिक्षक नियुक्ति पर पड़ेगा, बल्कि देशभर में इसका असर होगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राज्य में बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के द्वारा 1.70 लाख शिक्षकों की भर्ती के लिए 24 अगस्त से शिक्षक नियुक्ति परीक्षा होने जा रही है।
बीएड उत्तीर्ण या बीएड अपीयरिंग ऐसे करीब चार लाख अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने कक्षा 1 से 5 (प्राथमिक) के शिक्षक की नियुक्ति के लिए आवेदन किया है और वे डीएलएड पास भी नहीं हैं।
अब इन अभ्यर्थियों के समक्ष संशय की भी स्थिति बन गई है कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का असर उनकी उम्मीदवारी पर किस प्रकार से पड़ने वाला है। क्या इस परीक्षा को देने का अब कोई फायदा भी है या नहीं बीपीएससी का क्या रुख होगा।
7 लाख आवेदन प्राथमिक के लिए
कुल 8 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है, जिनमें से सात लाख सिर्फ प्राथमिक के लिए हैं। 1 लाख 4 हजार माध्यमिक व उच्च माध्यमिक के लिए आवेदन आए हैं। माध्यमिक (9वीं- 10वीं) के लिए 32916 सीटों के लिए 64 हजार आवेदन आए हैं। उच्च माध्यमिक की 57602 सीटों के लिए 40 हजार आवेदन आये हैं। प्रारंभिक शिक्षकों के कुल 79943 सीटों के लिए करीब सात लाख से अधिक आवेदन आए हैं।
माध्यमिक व उच्च माध्यमिक अभ्यार्थियों में ज्यादातर ने प्राथमिक के लिए भी आवेदन किया है। राष्ट्रीय छात्र एकता मंच के अध्यक्ष व बीपीएससी परीक्षार्थियों के हक में लड़ाई लड़ने वाले छात्र नेता दिलीप कुमार कहते हैं कि ऐसे अभ्यर्थी अब ब्रिज कोर्स भी करते हैं तो कोई फायदा नहीं होगा।
ये छात्र अभी संशय में हैं और कुछ भी स्पष्ट नहीं है। बीपीएससी से अभ्यर्थियों ने जब संपर्क किया तो वहां अधिकारियों का कहना है कि जो सरकार का निर्देश आएगा, बीपीएससी उसे फॉलो करेगा। बीपीएससी ने अब तक इस संबंध में कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बीएड उत्तीर्ण अभ्यर्थी अब प्राथमिक शिक्षक नहीं बन सकेंगे, यह स्पष्ट है। कोर्ट के वर्डिस्ट के बाद अब एनसीटीई की गाइडलाइन पर सबकुछ निर्भर करता है। उसकी गाइडलाइन के अनुसार सरकार भी कुछ निर्णय लेगी। फिलहाल तो छात्रों के लिए वेट एंड वाच की स्थिति है।
- प्रो. आशुतोष कुमार, प्राचार्य, पटना ट्रेनिंग फॉलेज, पटना विश्वविद्यालय