जासं, कानपुर : नए सत्र में दाखिले न होने की समस्या सिर्फ डिग्री कालेजों ही नहीं बल्कि परिषदीय स्कूलों में भी है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक परिवार सर्वे में पिछड़ गए और इसका सीधा असर नामांकन पर पड़ा। जिले में 65 परिषदीय स्कूल ऐसे हैं जहां पर पहली कक्षा में एक भी नए प्रवेश नहीं हुए हैं। स्कूल बच्चों के नए प्रवेश को लेकर तरसते रहे। महानिदेशक विजय किरन . आनंद ने प्रेरणा पोर्टल पर जिलावार नए दाखिलों की समीक्षा में कानपुर नगर की इस रिपोर्ट पर निराशा जाहिर की है। वहीं, बीएसए ने नामांकन न बढ़ने पर प्रधानाध्यापकों और प्रभारी प्रधानाध्यापकों का अगस्त माह का वेतन रोकने की चेतावनी दी है।
स्कूल चलें हम अभियान की इस वर्ष एक अप्रैल से शुरुआत हुई थी। पांच माह बाद भी परिषदीय स्कूलों में नामांकन न होना चिंता का विषय
- स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने जिले की समीक्षा में जताई निराशा
परिषदीय विद्यालयों में नामांकन न होने के पीछे मुख्य वजह संबंधित ग्राम पंचायत में घटती संख्या, बिना मानकों खुले निजी स्कूल हैं। जिन स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक व शैक्षणिक माहौल है, वहां के शिक्षकों को अनावश्यक प्रशिक्षण, गैर शैक्षणिक कार्यों में ड्यूटी लगाकर परिषदीय विद्यालयों को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है।
अनुग्रह त्रिपाठी, संयोजक, जूनियर शिक्षक महासभा, उत्तर प्रदेश
बना हुआ है। 16 अगस्त की रिपोर्ट ‘में भीतरगांव, बिल्हौर, सरसौल, बिधनू, घाटमपुर, चौबेपुर पतारा, शिवराजपुर, सदर बाजार प्रेम नगर, शास्त्री नगर खंड में 105 स्कूल चिह्नित किए गए थे। समीक्षा में पता
प्रेरणा पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों की . दोबारा होगी समीक्षा.
शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में चिह्नित खंड शिक्षा अधिकारी व स्कूल के प्रधानाध्यापक को चेतावनी देकर नए नामांकन कराने के लिए निर्देशित किया गया है। एक सप्ताह में यदि नामांकन का ग्राफ नहीं बढ़ाया जाता है तो नोटिस जारी करके वेतन रोकने की कार्रवाई के साथ स्पष्टीकरण. मांगा जाएगा।
सुरजीत कुमार सिंह, बीएसए
चला कि शैक्षिक सत्र 2023-24 का प्रेरणा पोर्टल पर विद्यालयों द्वारा कक्षा एक में शून्य नामांकन अपलोड किया गया है। बीएसए ने सख्ती दिखाई तो कुछ काम हुआ लेकिन अब भी ऐसे स्कूलों की संख्या 65 है।