29 सहायता प्राप्त स्कूलों में तैनात हैं शिक्षक
, गोंडा : जिले के 29 सहायता प्राप्त जूनियर स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति व उनके वेतन आहरण पर हर माह करोड़ों का भुगतान निकाला जा रहा है। किन शिक्षकों को वेतन दिया जा रहा है यह बेसिक शिक्षा विभाग और वेतन निर्धारण व भेजने वाला लेखाधिकारी कार्यालय को भी पता नहीं है। अब बेसिक शिक्षा अधिकारी और लेखाधिकारी शिक्षकों की सूची को लेकर नूराकुश्ती में जुट गए हैं।
अनुदानित स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती का खेल गोंडा में बीते दो दशक से चल रहा है। जिले में 29 सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल संचालित हो रहे हैं। इन स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती के साथ उनके एरियर का एक मुश्त भुगतान कर लिया गया। जिले के सभी स्कूलों में तैनात शिक्षकों का पूरा ब्यौरा मानव संपदा पोर्टल पर फीड किया जाता है लेकिन सहायता प्राप्त जूनियर स्कूलों में तैनात करीब 400 शिक्षकों का डाटा फीड नहीं है। यह शिक्षक कहाँ हैं और इनकी तैनाती किस स्कूल में है, वेतन
शिक्षकों की तैनाती का खेल शिक्षा माफियाओं का काकश
अभ्यर्थी से मोटी रकम लेकर उसकी किसी अनुदानित स्कूल में 10 साल पहले तैनाती दिखा दी जाती है। इसके बाद प्रबंधन या अधिकारी से नोटिस देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। इसी नोटिस को आधार बनाकर स्कूल प्रबंधन के साथ मिलकर न्यायालय की शरण ली जाती है। न्यायालय को गुमराह कर वहां से डायरेक्शन प्राप्त कर लिया जाता है। न्यायालय के आदेश पर सहायक निदेशक शिक्षा और बीएसए का आदेश लेकर एक साथ तैनाती वर्ष से लेकर मौजूदा साल तक एरियर का एक मुश्त भुगतान करा लिया जाता है। एरियर का भुगतान संबंधित शिक्षक के खाते में जरूर होता है लेकिन उसकी पूरी धनराशि माफिया निकलवा कर आपस में बांट लेते हैं।
अधिकारियों व शिक्षा माफियाओं
की तिकड़ी का कारनामा
लेखाधिकारी ने बीएसए पर
डाला दारोमदार
वित्त एवं लेखाधिकारी ने बीएसए को पत्र लिखकर कहा है कि अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की पत्रावली संबंधित विद्यालयों मैं अभिरक्षित होती है। इसके अलावा बीएसए कार्यालय में ही शिक्षकों की नियुक्ति, प्रशिक्षण के अभिलेख
अभिरक्षित होते हैं। बीएसए के अनुमोदनोपरांत ही वेतन का आहरण किया जाता है। ऐसे में लेखाधिकारी कार्यालय से शिक्षकों के साक्ष्य एवं पत्रावली की अपेक्षा बेकार है।
आहरण अधिकारी को भी नहीं पता है। यह इन अधिकारियों के पत्र से स्पष्ट होता है। मानव संपदा पोर्टल
अलग-अलग काम कर रहे हैं शिक्षक
जिन शिक्षकों की तैनाती कराकर उनके वेतन का आहरण किया जाता है वे अलग अलग स्थानों पर अलग-अलग प्रकार के काम कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार शिक्षकों की तैनाती जिन स्कूलों में है वहां के बच्चे भी अपने शिक्षक के बारे में नहीं जानते हैं। तथाकथित शिक्षक दोहरा लाभ भी उठा रहे हैं।
मांगा गया ब्यौरा वेतन रोका गया
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रेमचंद यादव ने बताया कि उनके पास 29 अशासकीय सहायता प्राप्त शिक्षकों का डाटा नहीं है। इसके लिए लेखाधिकारी व खंड शिक्षा अधकारियों से ब्यौरा तलब किया गया है। जब तक ब्यौरा नहीं मिलेगा तब तक सभी का वेतन रोक दिया गया है।
पर शिक्षकों का डाटा फीड कराने के लिए शासन से बार बार पत्र जारी किए जा रहे हैं। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय कृष्ण आनंद ने अशासकीय सहायता प्राप्त स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का पूरा ब्योरा मानव
संपदा पोर्टल पर अपलोड कराने के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र जारी किया है। पत्र में 25 अगस्त तक मानव संपदा पोर्टल पर पूरा ब्यौरा अपलोड न होने पर अगस्त 2023 से सभी के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी है।