Home PRIMARY KA MASTER NEWS राजस्थान के सरकारी स्कूलों में पांचवीं तक के शिक्षकों के लिए सिर्फ बीएसटीसी धारक ही पात्र : सुप्रीम कोर्ट

राजस्थान के सरकारी स्कूलों में पांचवीं तक के शिक्षकों के लिए सिर्फ बीएसटीसी धारक ही पात्र : सुप्रीम कोर्ट

by Manju Maurya

बीएड डिग्री धारकों को झटका, हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकार रखा, केंद्र की अपील खारिज

नई दिल्ली। राजस्थान के सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से पांचवीं कक्षा तक के शिक्षकों के लिए सिर्फ बेसिक स्कूल टीचिंग सर्टिफिकेट (बीएसटीसी) धारक पात्र होंगे।

बीएड धारक अब इसके लिए पात्र नहीं होंगे। राजस्थान सरकार को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीएसटीसी- बीएड मामले में उसके पक्ष में फैसला सुनाया है। राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि केवल बीएसटीसी प्रमाणपत्र धारक ही राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (आरईईटी) लेवल 1 में बैठने के पात्र

सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटीई की अधिसूचना को आरटीई कानून का उल्लंघन बताया

होंगे। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि करते हुए केंद्र सरकार और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट के फैसले के मुताबिक बीएड डिग्री वाले उम्मीदवारों को प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के पद के लिए आवेदन करने से बाहर रखा जाएगा। व्यूरो

2021 में केंद्र ने दी थी हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती

हाईकोर्ट ने शुरू में बीएड उम्मीदवारों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी थी लेकिन यह निर्देश दिया गया कि मामले पर अंतिम निर्णय होने तक नतीजों पर रोक लगी रहेगी। 2021 में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि बीएड डिग्री धारक लेवल 1 शिक्षक भर्ती के लिए पात्र नहीं हैं। हालांकि हाईकोर्ट ने माना कि बीएड डिग्री धारक आरईईटी लेवल 2 परीक्षा के लिए पात्र होंगे, जिसके बाद केंद्र सरकार और एनसीटीई ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

अधिसूचना एनसीटीई का स्वतंत्र निर्णय नहीं थी

सुप्रीम कोर्ट ने अब आदेश में कहा है कि 2018 में जारी एनसीटीई की अधिसूचना शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून का उल्लंघन है। अधिसूचना, अधिनियम के मकसद के खिलाफ है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि अधिसूचना में प्रक्रियात्मक खामियां है। अधिसूचना एनसीटीई का स्वतंत्र निर्णय नहीं थी बल्कि उसने केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन किया। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को लाखों बीएड डिग्री धारकों के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है।

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