लखनऊ । वर्ष 2011 से ग्रामीण क्षेत्र से नगर क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों के समायोजन नहीं होने से प्रदेश के शहरी क्षेत्र के प्राइमरी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है। हालत यह है कि कई क्षेत्रों में दूसरे विद्यालयों के शिक्षकों को अटैच कर किसी प्रकार स्कूलों को संचालित किया जा रहा है। इतना ही नहीं, समायोजन नहीं होने से प्रदेश के सैकड़ों विद्यालय शिक्षक विहीन हो चुके हैं जबकि सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जो शिक्षामित्रों के भरोसे हैं।
अकेले लखनऊ में शहरी क्षेत्र के 55 विद्यालय ऐसे हैं, जो शिक्षक विहीन हैं। कानपुर में ऐसे स्कूलों की संख्या 137 से अधिक है। करीब 12 वर्षों से ग्रामीण क्षेत्र से नगर क्षेत्र में समायोजन न होने से प्राइमरी स्कूल शिक्षक विहीन होते जा रहे हैं, जिसका असर इन स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। राजधानी लखनऊ को ही लें तो यहां नगर क्षेत्र में 252 प्राइमरी विद्यालय हैं, इनमें से 195 प्राथमिक और 57 उच्च प्राथमिक स्कूल है। इनमें से 55 विद्यालय शिक्षक विहीन हो चुके हैं। जिनमें 37 प्राथमिक विद्यालय और 18 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं।
एक शिक्षक के हवाले 13 किताबें जिन विद्यालयों में पास के स्कूल से एक-एक शिक्षक अटैच किये गये हैं, वहां भी बुरी तरह पढ़ाई प्रभावित है। शिक्षक कई कक्षाओं के छात्रों को एक साथ पढ़ाते हैं, प्राथमिक विद्यालय में एक कक्षा में 5 किताबें जबकि उच्च प्राथमिक में 13 किताबें हैं।
समायोजन न होने से कई स्कूलों में पढ़ाई ठप
जहां शहरी प्राइमरी स्कूल शिक्षक विहीन हो चुके हैं
जिले स्कूलों की संख्या
गौतमबुद्धनगर 61
गाजियाबाद 58
वाराणसी 50
मेरठ 67
बरेली 69
प्रयागराज 70
गोरखपुर 53
अयोध्या 62
इस सम्बन्ध में शासन को पत्र भेजा जा चुका है, जल्द ही ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों के अतिरिक्त शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर शहरी क्षेत्रों के प्राथमिक विद्यालयों में तैनात किया जाएगा ताकि यह समस्या दूर हो सके।
-विजय किरन आनंद, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश