बस्ती, बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों में डायट मेंटर व आकदामिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) को सपोर्टिव सुपरविजन देना होता है। इसके लिए एक स्कूल में कम से कम दो घंटे का समय देने की व्यवस्था बनाई गई है। ऐसे में अगर दो घंटे से पहले स्कूल छोड़ना महंगा पड़ सकता है। राज्य परियोजना कार्यालय ने पोर्टल पर दर्ज डाटा के आधार पर जिले के चार एआरपी व डायट मेंटर से यूनिक विजिट में दो घंटे से कम समय स्कूल पर देने के लिए जवाब तलब किया है।
परिषदीय स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए सपोर्टिव सुपरविजन की व्यवस्था बनाई गई है। इसके तहत एआरपी व डायट मेंटर को स्कूलों में कम से कम दो घंटे का समय देना है। इस दौरान स्कूल में मॉडल टीचिंग करने के साथ ही निपुण भारत मिशन से जुड़ी जानकारियों को साझा करना होता है। पढ़ने व पढ़ाने में सहायक विभिन्न एप के बारे में शिक्षकों को जानकारी देनी होती है। स्कूल में रूकने के दौरान उनकी लोकेशन पोर्टल पर दर्ज होती है। पोर्टल पर जुलाई माह की समीक्षा करते हुए राज्य परियोजना कार्यालय ने दो घंटे से कम का समय देने वाले एआरपी व डायट मेंटर्स से स्पष्टीकरण मांगा है।
प्रत्येक माह का टारगेट है सेट
स्कूलों में सपोर्टिव सुपरविजन के लिए एआरपी व डायट मेंटर के साथ एसआरजी को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके तहत एक माह में एआरपी को कम से कम तीस स्कूलों को सपोर्टिव सुपरविजन प्रदान करना होता है। वहीं डायट मेंटर को एक माह में कम से कम दस स्कूलों में और स्टेट रिसोर्स पर्सन (एसआरजी) को कम से कम 20 स्कूलों में सपोर्टिव सुपरविजन देना होता है।