मदरसा बोर्ड की 12 सितंबर को प्रस्तावित बैठक में प्रस्ताव पर लग सकती है मुहर
मोहम्मद इरफान
लखनऊ। मदरसों में अब बीएड और एमएड की भी पढ़ाई होगी। मदरसा शिक्षा को बेहतर करने के लिए बोर्ड ने शोध की सुविधा देकर विषय विशेषज्ञ तैयार करने की कवायद शुरू की है। मदरसा शिक्षा परिषद व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू करने के साथ ही पीएचडी कराने की भी तैयारी कर रहा है। बोर्ड की 12 सितंबर को प्रस्तावित बैठक में इस पर मुहर लगने की उम्मीद है।
उप्र मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त प्रदेश में तहतानिया (कक्षा 1 से 5), फौकानिया (कक्षा 5 से 8) और आलिया व उच्च आलिया स्तर यानी हाईस्कूल या इससे ऊपर के करीब 16460 मदरसे हैं।
शोध को भी मिलेगा बढ़ावा, पीएचडी भी कराई जाएगी
इनमें 560 मदरसे अनुदानित हैं। इनमें मुंशी मौलवी (हाई स्कूल समकक्ष), आलिम ( इंटर समकक्ष), कामिल (स्नातक) और फाजिल ( परास्नातक) की पढ़ाई होती है। मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि मदरसों में जल्द कामिल-ए- तदरीस (बीएड), फाजिल-ए-तदरीस प्रवेश मिलेगा। ( एमएड का कोर्स शुरू करने के साथ ही दुक्तूरा (पीएचडी) भी कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि 12 सितंबर को बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पर चर्चा के बाद मुहर लगाई जाएगी। संवाद
ये होगी योग्यता
कामिल एतदरीस कामिल-ए-तदरीस दो वर्षीय कोर्स होगा। मदरसा बोर्ड की रजिस्ट्रार प्रियंका अवस्थी ने बताया कि इसमें प्रवेश के लिए कामिल परीक्षा उत्तीर्ण अथवा किसी भी विवि से न्यूनतम 45 फीसदी अंकों के साथ स्नातक उत्तीर्ण होना जरूरी होगा।
फाजिल-ए-तदरीस फामिल-ए-तदरीस एक वर्षीय पाठयक्रम होगा। इसमें कामिल- एतदरीस की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद
■ दुक्तूरा रजिस्ट्रार ने बताया कि प्रथम श्रेणी में फाजिल की उपाधि रखने वाला या मदरसा पात्रता परीक्षण की योग्यता रखने वाले अभ्यर्थी दूक्तूरा (पीएचडी) में प्रवेश लेने के पात्र होंगे।