रामपुर बेसिक स्कूलों में बच्चों को खाना खिलाने वाली रसोइयों के घर के चूल्हे ठंडे पड़े हुए हैं। इसकी वजह यह है कि रसोइयों को तीन माह से मानदेय नहीं मिला है। हैं।
सरकार साल में 10 महीने इनको मानदेय के तौर पर दो हजार रुपये प्रतिमाह देती है। अप्रैल, जुलाई व अगस्त में जिले भर के 4100 रसोइयों को 2.46 करोड़ रुपये का मानदेय नहीं मिला है। ऐसे में
रसोइयों के घरों पर खाने का संकट
जिले भर में 1596 बेसिक स्कूल संचालित हो रहे हैं। इनमें नगर क्षेत्र के स्कूलों में तो एनजीओ के माध्यम से मिड-डे-मील तैयार होता है। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में मिड-डे- मील स्कूल प्रबंधन समिति के खाते
से तैयार होता है। स्कूलों में तैनात रसोइया मिड-डे-मील बच्चों को पकाकर देती हैं। जिले भर में 4100 रसोइयों की तैनाती है।
शासन की ओर से साल भर में इनको 10 माह का मानदेय मिलता है। मई और जून में स्कूलों के ग्रीष्मकालीन अवकाश रहने की वजह से इनको मानदेय नहीं दिया जाता है। रसोइयों को अप्रैल से मानदेय नहीं मिला है। इस तरह भेजा जाएगा। सयाद
अप्रैल के बाद जुलाई और अगस्त यानी तीन माह से रसोइयों का 2 करोड़ 46 लाख रुपया मानदेय बन रहा है। रसोइयों को रक्षाबंधन से पहले मानदेय मिलने की आस थी, लेकिन वह भी पूरी नहीं हुई। जिला समन्वयक एमडीएम राहुल सक्सेना के अनुसार अप्रैल माह की ग्रांट के रूप में 82 लाख रुपये आ चुके हैं। शीघ्र ही इनको रसोइयों के खातों में