यूपी के टीचर ट्रांसफर के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा किए गए पूर्व के तबादलों में अन्य किसी विभाग के सरकारी कर्मचारियों का ट्रांसफर करने से नहीं रोका गया तो इस बार ऐसा नया प्रयोग करना शिक्षक विरोधी आदेश है।
ट्रांसफर से वंचित अधिकतर महिला टीचर्स ने एनपीआर टुडे को बताया कि हम सब के साथ हो रहे भेदभाव व अन्याय से हम सब बेहद कष्ट में है। हम सब व हमारे पति नियमित सरकारी कर्मचारी हैं, कोई संविदा कर्मी नहीं हैं। हमारा स्थानान्तरण जनपदीय कमेटी के सत्यापन पश्चात सचिव बेसिक शिक्षा महोदय के आदेश से ही हुआ है।
महिला शिक्षकों ने यूपी के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाते हुए कहा कि आपके राज्य में महिलाओं का ट्रांसफर होने के बावजूद कार्य मुक्ति ना करना भी महिलाओं के प्रति अत्याचार है। शासनादेश के बाद हुए स्थानांतरण के बावजूद गुमनाम अदृश्य मौखिक आदेश के कारण कार्य मुक्ति रोक दी गई जो हम सभी महिला शिक्षकों के साथ घोर अन्याय है।हम सभी महिला शिक्षक पिछली 1 जुलाई से शिक्षा के अलग-अलग आला अधिकारियों, सचिव के पास जाकर कार्य मुक्ति की गुहार लगा रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। अब जब कि 20 सितम्बर से विद्यालय आवंटन होने वाले हैं ऐसे में स्थानान्तरित हो चुकी शिक्षिकाओं को भी कार्यमुक्ति/ ज्वाइनिंग व विद्यालय आवंटन का अधिकार है ।
चलते इन टीचर्स की कार्यमुक्ति रोक दी गई।
महिला शिक्षकों ने ऐसे मौखिक आदेश पर विरोध दर्ज करते हुए कहा कि इससे तो स्थानान्तरण की मूल भावना का ही विनाश हो गया। ट्रांसफर के बाद दूध इस तरह से कार्य मुक्ति को रोकने के चलते सबसे अधिक महिला शिक्षकों को नुकसान हुआ है जो अपने-अपने छोटे बच्चों को लेकर न्याय और कर कार्यमुक्ति के लिए 200 से 300 किलोमीटर दौड़कर शिक्षा के आला अधिकारियों के घर के चक्कर काट रही हैं।