देवरिया। जनपद में शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े की जांच कर रही एसटीएफ यहां के 89 शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच करने में लगी है। इस संबंध में मांगी गई रिपोर्ट को बीएसए ने जांच एजेंसी को उपलब्ध करा दिया है। डेढ़ माह पूर्व रिपोर्ट नहीं देने पर एसटीएफ ने शासन स्तर पर इसकी शिकायत की थी।
जिले में बेसिक शिक्षा विभाग में 25 साल के अंदर शिक्षकों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। इसे लेकर पूर्व में बीएसए रहे अधिकारियों व नियुक्ति व सत्यापन पटल देख रहे लिपिकों की कार्यशैली लगातार संदेह के घेरे में रही है। इधर पिछले पांच सालों के अंदर अब तक 70 शिक्षकों को फर्जीवाड़े में बर्खास्त किया जा चुका है। विभिन्न थानों में इन फर्जी शिक्षकों पर केस भी संबंधित ब्लॉक के खंड शिक्षाधिकारियों की ओर से केस भी दर्ज कराया जा चुका है। डेढ़ माह पूर्व एसटीएफ ने प्रदेश के 28 जिलों के बीएसए से संदिग्ध शिक्षकों के संबंध में आवश्यक जानकारी मांगी थी। समय से नहीं दिए जाने पर जांच एजेंसी ने इसकी शिकायत महानिदेशक स्कूल शिक्षा से की थी। महानिदेशक के आदेश पर जिले से भी 89 शिक्षकों, जिसमें विभिन्न ब्लॉकों के परिषदीय, कस्तूरबा, अनुदानित स्कूलों के शिक्षक शामिल है, इसकी सूची तैयार कर इनके शैक्षिक प्रमाणपत्र, पैन, आधार कार्ड, निवास प्रमाणपत्र सहित अन्य डाटा एसटीएफ को उपलब्ध कराया गया है। आरोप है कि इनमें से कई शिक्षक दूसरे के प्रमाण पत्रों के आधार पर जनपद में नौकरी कर रहे हैं। कुछ के प्रमाणपत्रों में हेरफेर किया गया है। पिछले डेढ़ साल से भागलपुर क्षेत्र के पांच शिक्षकों के खिलाफ चल रही जांच अटकी ही हुई है।
केस दर्ज करा सुस्त पड़ गया विभाग, सभी को है रिकवरी का इंतजार
जिले से बीते पांच साल में फर्जीवाड़े में 70 फर्जी शिक्षकों को नौकरी से हाथ गंवाना पड़ा है। हालांकि विभाग रिकवरी एक से भी नहीं कर पाया है। विभागीय अधिकारी मानते हैं कि इनमें से कई शिक्षकों के न्यायालय की शरण में चले जाने से इनसे रिकवरी नहीं हो पा रही है। उधर बीएसए कार्यालय के लेखाधिकारी संजय कुमार बताते हैं कि ऐसे शिक्षकों पर 30 करोड़ से अधिक की वसूली की जानी है।
एसटीएफ ने जिन शिक्षकों की सूची एवं आवश्यक प्रमाण पत्र मांगें थे, उसे उपलब्ध करा दिया गया है। विभागीय स्तर से भी जिन शिक्षकों की शिकायतें हुई हैं, उनकी जांच कराई जा रही है। इनके कागजात में कोई गड़बड़ी मिलती है तो इन पर कार्यवाही तय है।
-शालिनी श्रीवास्तव, बीएसए