: इन दिनों यूपी के झांसी का बंगुआं प्राथमिक विद्यालय चर्चा में है. दरअसल इस स्कूल के शिक्षक प्रदीप सेन को 5 सितंबर को सीएम योगी आदित्यनाथ सम्मानित करने वाले हैं. शिक्षक ने इस स्कूल अपने प्रयास से इस स्कूल का कायाकल्प कर दिया है. ( रिपोर्ट: शाश्वत सिंह)
एक बहुत मशहूर कहावत है, ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता’… लेकिन इसे झांसी के एक शिक्षक ने गलत साबित कर दिया है. झांसी के एक गांव के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक ने न सिर्फ अपनी मेहनत से स्कूल का रंग रूप बदल दिया बल्कि वहां के बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा की तरफ भी मोड़ दिया है. आज इस स्कूल के बच्चे एक शानदार माहौल में पढ़ाई करते हैं और अपने सुनहरे भविष्य की तैयारी करते हैं.
ऊपरी हिस्से में जो स्कूल आप देख रहे हैं, वह बंगुआ के प्राथमिक विद्यालय की साल 2015 की तस्वीर है. 8 साल बाद स्कूल की तस्वीर बदल चुकी है. पहले जो बच्चे यहां आने से कतराते थे आज वह स्कूल आने और पढ़ाई का इंतजार करते हैं. इस बदलाव की वजह शिक्षक प्रदीप सेन हैं.
प्रदीप सेन ने इस स्कूल के बदलाव के लिए लगातार प्रयास किए. जिलाधिकारी रविंद्र कुमार द्वारा इस स्कूल को गोद लेने के बाद उनके प्रयासों को और बढ़ावा मिला. प्रदीप सेन को अपने प्रयासों के लिए जनपद स्तर पर कई पुरस्कार मिल चुके हैं. इन प्रयासों के लिए उनको राज्य अध्यापक पुरस्कार से भी सम्मानित किया जाएगा. 5 सितंबर को लखनऊ में उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा यह पुरस्कार दिया जाएगा.
बंगुआं प्राथमिक विद्यालय कई मायनों में अन्य स्कूलों से अलग है. जहां कई सरकारी स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए सही इंतजाम नहीं होते हैं, वहीं इस स्कूल में एक डिजिटल लाइब्रेरी भी बनाई गई है. यहां बच्चों के लिए उनकी रुचि के अनुसार सभी प्रकार की किताबें रखी गई हैं.
इस स्कूल की डिजिटल लाइब्रेरी में किताबों के साथ कंप्यूटर भी लगाए गए हैं. कई ऐसी महंगी किताबें जो बड़े-बड़े स्कूलों में उपलब्ध नहीं है उसकी डिजिटल कॉपी भी बच्चों के पढ़ने के लिए यहां उपलब्ध है. इस कंप्यूटर रूम और डिजिटल लाइब्रेरी में हर क्लास के बच्चों को अलग-अलग समय पर एंट्री दी जाती है.
इस प्राथमिक स्कूल की सबसे अनोखी चीज डाइनिंग हॉल. दरअसल जहां एक तरफ कई तस्वीरें आती हैं, जिसमें बच्चे अपना मिड डे मील जमीन पर बैठकर खा रहे होते हैं, तो वहीं बंगुआं के प्राथमिक स्कूल में बच्चों के लिए डाइनिंग हॉल बनाया गया है. प्रदीप सेन ने कहा कि बच्चों को एक बेहतर माहौल देने के लिए हर प्रयास किया जाता है.
स्कूल के अध्यापक प्रदीप सेन ने बताया कि कुछ सालों पहले उन्होंने स्कूल में बदलाव लाने के बारे में सोचा था. इसके लिए काम भी शुरू किया. कुछ समय पहले झांसी के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने इस स्कूल को गोद ले लिया. इसके बाद जो बदलाव की कहानी शुरू हुई वह आज तक जारी है. प्रदीप सेन ने कहा कि यह पुरस्कार सब के प्रयासों का परिणाम है.