प्रदेशभर के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के एरियर का भुगतान अब शिक्षा निदेशालय से न होकर मंडल स्तर से करने की तैयारी है। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। सुगबुगाहट शुरू होने के साथ ही शिक्षा निदेशालय के बाबुओं ने विरोध जताना शुरू कर दिया है। वर्तमान में दो लाख रुपये तक के एरियर का भुगतान मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक के स्तर से होता है। उससे अधिक के भुगतान के लिए फाइल शिक्षा निदेशालय भेजी जाती है।
एरियर भुगतान में देरी और समय-समय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के मद्देनजर भविष्य में दो लाख से अधिक के एरियर का भुगतान भी मंडल स्तर से करने का प्रस्ताव भेजा गया है। हालांकि बाबुओं का कहना है कि जिला विद्यालय निरीक्षक और मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय की लापरवाही के कारण ही एरियर बनता है। जिसका निदेशालय में वित्त नियंत्रक की निगरानी में समुचित परीक्षण के बाद भुगतान होता है। अब यदि जिले और मंडल स्तर के अफसरों को ही एरियर भुगतान का अधिकार दे दिया जाएगा तो वह अपनी ही गलती का परीक्षण और न्यायपूर्ण निस्तारण कैसे करेंगे। यदि पारदर्शिता ही लानी है तो भुगतान की संपूर्ण कार्यवाही ऑनलाइन कर दी जाए। निश्चित समय में फाइल आगे न बढ़ने पर संबंधित बाबुओं और अफसरों की जिम्मेदारी तय कर दें तो शायद समस्या का समाधान हो सकता है।
मंडल और जनपद स्तर पर अनियमित अवशेष भुगतान कराए जाने के लिए विभिन्न याचिकाएं कोर्ट में योजित की जाती हैं। जिसका बगैर विधिक परीक्षक किए मंडल और जनपद के अधिकारी निदेशालय भेज देते हैं। यदि मंडल और जिले स्तर पर अवशेष भुगतान का अधिकार दिया गया तो राजकोष से अनियमित भुगतान से इनकार नहीं किया जा सकता। प्रदीप सिंह, मंत्री शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ