प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि सहायक अध्यापक को बिना जांच बर्खास्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ डॉ.भीमराव आंबेडकर प्राइमरी स्कूल धर्मगतपुर गुलारी के सहायक अध्यापक को बिना जांच प्रबंध समिति के बर्खास्त करने संबंधी आदेश पर एक महीने में नियमानुसार निर्णय लेने का निर्देश जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) मऊ को दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि बीएसए विचार करें कि क्या नियम 11 का पालन किया गया है। जिसमें बर्खास्तगी से पहले बीएसए का अनुमोदन जरूरी है। यह भी देखें कि क्या कोई गंभीर आरोप है जिसके कारण बर्खास्तगी की जा सकती है और क्या नियमानुसार जांच कार्रवाई की गई है।
हाईकोर्ट ने याचिक को स्वीकार करते हुए दिया आदेश
न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने सहायक अध्यापक प्रेम सागर चौहान की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है। याची के अधिवक्ता सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि याची को पहले आधारहीन आरोप में निलंबित किया गया।
आरोपपत्र में ऐसा कोई आरोप नहीं है जिसके आधार पर दंड दिया जा सके। इसके बावजूद बिना जांच किए प्रबंध समिति ने याची को बर्खास्त कर दिया। याची सरकारी खजाने से वेतन पा रहा है। उसकी बर्खास्तगी बिना बीएसए की पूर्व अनुमति नहीं की जा सकती।
बीएसए ने याचिका लंबित होने के कारण बर्खास्तगी आदेश पर कोई निर्णय नहीं लिया है। नियमानुसार बर्खास्तगी रद होने योग्य है। कोर्ट ने नियम 11का परिशीलन करते हुए कहा कि बिना जांच बर्खास्तगी कानून की निगाह में कायम रहने लायक नहीं है। प्रबंध समिति बीएसए के अनुमोदन पर ही बर्खास्तगी आदेश दे सकती है।