अप्रैल से बेसिक स्कूलों का नया सत्र शुरू हो गया। जुलाई में स्कूल यूनिफॉर्म और बैग के लिए अभिभावकों के खाते में धनराशि भेजे जाने की औपचारिक शुरुआत भी जोर-शोर से कर करवा दी गई। हकीकत ये है कि अब तक ज्यादातर स्कूलों अब तक अभिभावकों को यूनिफॉर्म के लिए धनराशि का इंतजार है।
स्कूल यूनिफॉर्म, बैग, जूते-मोजे और स्वेटर के लिए 1200 धनराशि अभिभावकों के खाते में भेजी जाती है। इस साल जुलाई में मुख्यमंत्री ने धनराशि अभिभावकों के खाते में भेजने की औपचारिक शुरुआत की लेकिन कई स्कूल तो जहां आधे अभिभावकों के खातों में भी धनराशि नहीं पहुंची। लखनऊ के ही नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय गड़ेरियनपुरवा में 217 छात्र हैं। यहां सिर्फ एक अभिभावक के खाते में धनराशि पहुंची है। इसी तरह मोहनलालगंज के प्राथमिक विद्यालय धनुआसांड़ में 178 छात्र हैं। इनमें से 130 अभिभावकों के खाते में धनराशि पहुंची है। यह दिक्कत सिर्फ इन्हीं स्कूलों की नहीं है। प्रदेश के ज्यादातर विद्यालयों में सभी अभिभावकों के खाते में धनराशि नहीं पहुंची।
दरअसल, खातों में धनराशि पहुंचने में कई तरह की तकनीकी दिक्कतें आ रही शिक्षकों को छात्र और अभिभावक का ब्योरा पोर्टल पर अपलोड करना होता है। इसमें आधार नंबर और मोबाइल नंबर लिंक किया जाता है। इसी ब्योरे के आधार पर बैंक खातों में धनराशि जाती । प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने बताया कि कई अभिभावकों ने मोबाइल नंबर बदल दिया। पोर्टल में पिता का आधार फीड किया गया है लेकिन बैंक में मां या कोई और बच्चे का केयरटेकर है। वहीं केवाईसी के अभाव में किसी का खाता निष्क्रिय हो गया। अभिभावक बैंक जाते हैं लेकिन वहां से भी सही जानकारी नहीं मिलती। इस तरह वे स्कूल और बैंक के चक्कर लगाते रह जाते हैं। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि पहले की तरह पोर्टल में खाता संख्या फीड हो और उसी के आधार पर धनराशि पहुंचे तो दिक्कत नहीं होगी। हर साल तकनीकी दिक्कतें आती हैं। ऐसे में इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाना चाहिए.
ज्यादातर के खातों में धनराशि पहुंच गई है। जिनके में नहीं पहुंची, उसके लिए भी प्रयास कर रहे हैं। किसी का स्कूल में नामांकन ही नहीं है या पढ़ने आते ही नहीं, उनको भी जांचा जा रहा है। इसी महीने के अंत तक खातों में धनराशि पहुंच जाएगी। – विजय किरण आनंद, महानिदेशक स्कूल शिक्षा