बिहार के पटना में करबिगहिया इलाके में एक ही बिल्डिंग में 5 स्कूल के बच्चे एक साथ पढ़ते हैं। हालात ये हैं कि यहां एक ही क्लासरूम में एक ब्लैकबोर्ड पर 5 स्कूल के 5 टीचर एक साथ पढ़ाने को मजबूर हैं।
बिहार के पटना में करबिगहिया इलाके से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने राज्य की शिक्षा व्यवस्था के मुंह पर कालिख पोत दी है। दरअसल यहां एक साथ एक ही बिल्डिंग में 5 स्कूल चलाए जाते हैं। स्कूल के अंदर और बाहर भयंकर गंदगी, कैंपस के अंदर जलजमाव और एक बिल्डिंग जर्जर हालत में है। लिहाजा इसके बाद अब सिर्फ एक दो मंजिला भवन ही बचा है जहां से एक साथ 5 स्कूल चलते हैं। पहले स्कूल दो शिफ्ट में चलता था लेकिन अब एक ही शिफ्ट कर दिया गया हैं। जिससे परेशानी और बढ़ गयी है।
गाजीपुर के जिलाधिकारी महोदया आर्यका अखौरी द्वारा वर्ष 2023 के लिए जारी अवकाश सूची में 18 सितंबर को हरितालिका तीज का स्थानीय अवकाश घोषित! कोषागार और उपकोषागार को छोड़कर सभी विभाग, स्कूल और कार्यालयों में छुट्टी रहेगा।
5 टीचर एक ही बोर्ड पर पढ़ाते हैं 5 विषय
यहां कुल 400 बच्चे पढ़ते हैं लेकिन कम कमरे और ज्यादा स्कूल होने की वजह से एक ही क्लासरूम में अलग-अलग स्कूल के कुछ क्लास के बच्चे एक साथ बैठते हैं। लिहाजा मजबूरी में एक कमरे में 5 स्कूलों के 5 शिक्षक एक साथ पढ़ाते हैं। मजबूर शिक्षक एक ब्लैकबोर्ड को ही चॉक से 5 भाग मे बांटकर 5 टीचर 5 अलग-अलग विषय पढ़ाते हैं। इसको लेकर शिक्षकों ने कहा कि वे अपने-अपने छात्रों को पहचानते हैं, बच्चे भी अपने विषय के टीचर की तरफ देखकर सुनते हैं। लेकिन इस तरह पढ़ाने से काफी दिक्क़ते होती हैं। वहीं इसी भवन की एक क्लास में दो टीचर एक साथ पढ़ाते मिले। एक टीचर पांचवीं को तो दूसरे टीचर सांतवी क्लास के बच्चों को पढ़ा रहे थे।
शौचालय में रखा जाता है खाने-पीने का सामान
इतना ही नहीं, यहां क्लासरूम में ही पीछे के हिस्से में दो स्कूलों का दो चूल्हे पर खाना बनता है। जगह की कमी होने के कारण शौचालय को खाने पीने की चीजों का स्टोर रूम बना दिया। खाने पीने की चीजें जैसे चावल की बोरियां शौचालय में रखी जाती हैं। दो स्कूल का स्टोर रूम दो शौचालय को बनाया गया है। इस शौचालय का इस्तेमाल अब इसी काम के लिए किया जाता है। एक NGO की तरफ से नया शौचालय बनाया जा रहा है, लेकिन सोख्ता पहले से जाम है, ऐसे में नया शौचालय भी किसी काम का नहीं होगा।
छात्रों के लिए पीने का पानी भी नहीं
स्कूल में पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है। बगल में एक मंदिर से पाइप के जरिये पानी स्कूल की छत पर बने टंकी तक लाने की व्यवस्था खुद शिक्षकों ने की थी। लेकिन मंदिर का मोटर जल गया जिसके बाद पानी नहीं आ रहा है। इस स्कूल में 11 महिला रसोईया हैं, इनके लिए खाना बनाने के लिए पानी दूर से लाना सबसे बड़ी समस्या है। इतना ही नहीं इनका 4 महीने से (1650 रुपए मासिक) वेतन भी बकाया है।