कानपुर देहात, 21 सितम्बर। प्राथमिक विद्यालय की शिक्षक भर्ती से बीएड को अमान्य किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से बीएड डिग्रीधारियों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। परिषदीय स्कूलों में ६९००० सहायक अध्यापक भर्ती के तहत चयनित बीएड डिग्रीधारियों को बाहर करने की मांग को लेकर पिछले दिनों शिक्षामित्रों ने सर्वोज्च न्यायालय में याचिका की थी तो वहीं इस भर्ती में मामूली अंकों से बाहर हो गए
डीएलएड (बीटीसी) अभ्यर्थियों ने चयनित बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को छह महीने का अनिवार्य ब्रिज कोर्स न करवाने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका कर दी है। एक अभ्यर्थी की ओर से दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की २८ जून २०१८ की अधिसूचना में कक्षा 1 से 5 तक के लिए चयनित बीएड डिग्रीधारियों को 2 साल के अंदर 6 महीने का अनिवार्य प्रशिक्षण कराने का प्रावधान किया गया था। ६९००० शिक्षक भर्ती के तहत पहले बैच
में ३१२७७ और दूसरे बैच में ३६५९० शिक्षकों को क्रमशः अक्तूबर और दिसंबर २०२० में नियुक्ति दी गई थी, लेकिन 2 साल का समय बीतने के बावजूद अनिवार्य ब्रिज कोर्स नहीं कराया जा सका है। साथ ही सरकार ने ब्रिज कोर्स कराए जाने के लिए हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में ६९००० शिक्षक भर्ती में चयनित बीएड अभ्यर्थियों के विदाई के संकेत बढ़ गए हैं। शिक्षकों ने स्वयं हाईकोर्ट में की थी याचिका- ६९००० भर्ती में चयनित बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों ने 6 महीने का अनिवार्य प्रशिक्षण कराने के लिए स्वयं हाईकोर्ट में याचिका की थी। हाईकोर्ट ने २७ अप्रैल २०२२ को साफ किया था कि सरकार यदि समय रहते प्रशिक्षण नहीं कराती और कोई विषम परिस्थिति पैदा होती है तो उसके लिए बीएड डिग्रीधारी शिक्षक जिम्मेदार नहीं होंगे। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल ने बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को 6 महीने का ब्रिज कोर्स कराने संबंधी प्रस्ताव शासन को भेजा था। इसके बावजूद प्रशिक्षण नहीं कराया जा सका।